हिमाचल

बोर्ड से मज़दूरों को मिलने वाले सभी लाभ रोकना मज़दूर विरोधी निर्णय: भूपेंद्र

हिमाचल प्रदेश में भवन एवं पंचायतों में निर्माण कार्य करने वाले मज़दूरों को राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड के पंजीकृत करने का काम लगभग ठप हो गया है।बोर्ड के साथ अभी तक कुल 4 लाख 49 हज़ार निर्माण मज़दूर पंजीकृत हैं जिनमें से साढ़े तीन लाख सक्रिय मज़दूर है।
पिछले वित्त वर्ष में कुल 61038 मज़दूर बोर्ड से पंजीकृत हुए थे।लेक़िन प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनते ही ये लगभग रुक गया है और अप्रैल 2023 के बाद मात्र 737 निर्माण मज़दूर ही पंजीकृत हुए हैं जिनमें पंचायतों में काम करने वाले मजदूरों की संख्या शून्य है। सदस्य एवं यूनियन के राज्यपूर्व सरकार के समय ये पंजीकरण एक जिले में आठ हज़ार से पंद्रह हजार तक हुआ करता था लेकिन अब मात्र दस पन्द्रह प्रति महीने तक सीमित हो गया है।
यही नहीं पन्द्रह हज़ार से ज़्यादा मज़दूरों का नवीनीकरण भी सरकार के ग़लत फ़ैसले के कारण रुक गया है और उन्हें मिलने वाली सहायता राशी जो लगभग पचास करोड़ है वो भी रोक दी गई है।सरकार के इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ दो दिन पहले शिमला में हुई बोर्ड की बैठक में भारी हंगामा हुआ है और इस रुके हुए काम को जल्द बहाल करने का फ़ैसला किया गया है।
बोर्ड सदस्य एवं यूनियन महासचिव ने वर्तमान कांग्रेस पार्टी की सरकार द्धारा प्रदेश के लाखों मनरेगा और निर्माण मज़दूरों  को बोर्ड से मिलने लाभ और पंजीकरण तथा नवीनीकरण रोकने की कड़ें शब्दों में निंदा की है।उन्होंने बताया की सरकार ने एक तरफ़ फ़रवरी माह में हर ज़िले में ज़िला कल्याण अधिकारी नियुक्त किये हैं जो क्लास वन रैंक में हैं और उन्हें बिना किसी काम के पिछले छह महीने में लाखों रुपये वेतन दिया जा चुका है।जबकि बोर्ड का काम पूरी तरह ठप कर दिया गया है
जिसका बोर्ड बैठक में सभी यूनियनों ने विरोध किया है।भूपेंद्र सिंह ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में बोर्ड के साथ सबसे ज्यादा मज़दूर मंडी ज़िला से 81200 मुख्यमंत्री के गृह ज़िला हमीरपुर से 79580 पंजीकृत हुए हैं बिलासपुर से 48676,कांगड़ा से 45700,चम्बा 32328 कुल्लू से 30310 ऊना से 29130 रामपुर 22065 सिरमौर से 16200,सोलन 13850 किन्नौर 11376 शिमला 11002 बद्दी से 10110 मज़दूर पंजीकृत हुए हैं।
उन्होंने बताया कि मंडी ज़िला में पिछले साल एक माह में दो हज़ार से ज़्यादा मज़दूर पंजीकृत होते थे।लेक़िन अब सारा काम बन्द पड़ा है।सरकार ने फ़रवरी माह में निजी भवन निर्माण कार्य करने वाले मजदूरों के पंजीकरण के लिए क़ानून की उलंघन्ना करते हुए सेस अदायगी की शर्त जोड़ दी है जिससे अब न तो पंचायतों में निर्माण कार्य करने वाले मज़दूरों का पंजीकरण और नवीनीकरण हो रहा है और न ही भवन निर्माण कार्य करने वालों का हो रहा है।
बोर्ड की बैठक में इस रुके हुए काम को जल्द बहाल करने के लिए एकजुट होकर सभी यूनियनों मांग उठाई है और अगर जल्द कार्य शुरू नहीं किया गया तो अगस्त माह में सरकार के ख़िलाफ़ अभियान चलाया जाएगा।
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