पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने शिमला में सिरमौर के टैक्सी चालक की बेहरहमी के साथ पिटाई और इस मामले में एक मंत्री द्वारा दिया गया भाषण कि शिमला से बाहर के लोगों के खिलाफ मामले दर्ज करो, को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है.
मंडी में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि हिमाचल क्या देश भी हम सब का है. यहां का कोई भी नागरिक कहीं भी घूम सकता है जा सकता है. उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की है वह अपने मंत्रियों को हिदायत दें कि ऐसे ब्यानों से परहेज करना चाहिए.
जो आपसी भाईचारे को बिगाड़ने वाले हों. शिमला के एक मंत्री के भाषण का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि मंत्री का यह कहना है कि शिमला से बाहर वाले जो भी इस मामले में हैं. उनके खिलाफ केस दर्ज करो, यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण हैं.
मुख्यमंत्री को ऐसे मंत्रियों पर लगाम लगानी चाहिए तथा उन्हें इस तरह के ब्यान देने से परहेज करने को कहना चाहिए. उन्होंने कहा कि शिमला में जो कुछ भी हुआ वह नहीं होना चाहिए था. जिला विशेष या क्षेत्र विशेष के लोगों के लिए इस तरह की बात करना सही नहीं है. मनोहर हत्याकांड को लेकर उन्होंने कहा कि कांग्रेस जब प्रदेश में चुनाव जीती थी. तो मुख्यमंत्री ने कहा था कि प्रदेश में 91 प्रतिशत हिंदु हैं.
मगर फिर भी हमने हिंदुवादी पार्टी को हरा दिया. ऐसे ब्यानों से गलत तत्वों के हौंसले बढ़ते हैं. सलूणी की घटना जघन्य है. इस मामले में वह आज भी अपनी उस मांग पर कायम है कि इस पूरे प्रकरण की जांच एनआईए को सौंपी जानी चाहिए.
हम जो वहां गए थे तो हमारी मंशा राजनीति करने की नहीं थी. हमारी नैतिक जिम्मेवारी है कि जहां पर ऐसी घटना हुई है. उस पीड़ित परिवार से मिल कर उसकी व्यथा सुनी जाएं आज दिन तक वहां ना तो सरकार को कोई मंत्री गया न मुख्यमंत्री ही वहां पीड़ित परिवार से मिलने गया.
इस मामले में वहां पर एक वर्ग को प्रभावित करने की कोशिश हो रही है. जो दुर्भाग्यपूर्ण है. वह वर्ग सुरक्षित नहीं है. पूर्व मुख्यमंत्री ने हैरानी जताई कि सरकार एक महीने के लिए निजी काम के लिए छुट्टी पर गए डीजीपी का चार्ज तक किसी अधिकारी को नहीं दे पाई है.
कोई विकल्प नहीं दिया गया जबकि अधिकारी इसके लिए तैयार हैं. पुलिस प्रशासन हैड लैस है. नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि पूरे प्रदेश में विकास के काम ठप्प पड़े हैं. सब काम वहीं रूके हुए हैं जहां पर हमारी सरकार छोड़ कर गई थी.
वह मंडी जिले की बात नहीं कर रहे बल्कि पूरे प्रदेश में यही हाल है. 15 हजार सरकारी कर्मियों को वेतन नहीं मिला है. हजारों आउटसोर्स कर्मी काम से निकाल दिए गए हैं. ऐसा लगता है कि सरकार ने हाथ खड़े कर दिए हैं.