<p>शिमला, पहाडो की रानी शिमला के स्कैंडल पॉइंट पर बनी मुख्य डाकघर की बिल्डिंग को कोनी लॉज के नाम से जाना जाता था। 1880 में डाक विभाग द्वारा अंग्रेज पीटरसन से इस ऐतिहासिक भवन को खरीदा गया था। उसके बाद 1883 में इस ईमारत में डाकघर खोला गया।</p>
<p>एफ डालटन पोस्ट आफिस शिमला के पहले पोस्टमास्टर थे। आजाद भारत के पहले पोस्टमास्टर एके हजारी माने जाते है। तीन मंजिला खूबसूरत ये भवन टिंबर की लकड़ी व पत्थरों से बना हुआ है जिसकी बनावट इंग्लैंड के भवनों जैसी है।</p>
<p>बताया जाता है कि ब्रितानिया हकूमत में देश की ग्रीष्मकालीन राजधानी शिमला में विदेश से आने वाली डाक की सूचना घंटी बजाकर दी जाती थी। जैसे ही विलायती डाक पोस्ट ऑफिस शिमला में पहुंचती थी तो एक लाल रंग का झंडा डाकघर के ऊपर लहराया जाता था।</p>
<p>डाक विभाग का कर्मी, जिसे घंटीवाला कहा जाता था, घंटी बजाकर दफ्तर से पीछे स्थित स्टाफ कालोनी में रहने वाले डाकिये को बुलाता था।</p>
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