प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल के स्टार परफॉर्मर्स में से लगातार पांच बार चुनाव जीतने का रिकॉर्ड बनाने वाले अनुराग ठाकुर को केंद्रीय मंत्री पद न मिलने के पीछे का कारण हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में 4 में से 3 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे भी हैं, ऐसी मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक चर्चा हो रही है। वहीं, उपचुनाव में भाजपा की हार को भी अनुराग की ताजपोशी की राह में रोड़ा माना जा रहा है जबकि दो बार बतौर मंत्री उनकी परफार्मेंस बढ़िया रही है।
हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में लोकसभा चुनाव के साथ चार विधानसभा सीटों पर भी उपचुनाव हुए, मगर भाजपा तीन सीटें हार गई, जिससे वह अपने दूसरे लक्ष्य से चूक गईं। दूसरी ओर अनुराग ठाकुर खुद बड़े अंतर यानी 1,82,397 मतों की लीड लेकर चुनाव जीते हैं। लेकिन अनुराग ठाकुर ने 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार रामलाल ठाकुर को 3,99,572 वोटों के अंतर से हराया था। जोकि इस बार के मतों से ज्यादा था.
मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक उपचुनाव में जिन तीन विधानसभा सीटों पर भाजपा की हार हुई है, उन हलकों से लोकसभा चुनाव में अनुराग को अच्छी लीड मिली है। यानी वोट भाजपा को नहीं, कैंडीडेट्स को पड़े। भाजपा के भीतर ही सुगबुगाहट है कि अगर अनुराग को मिले सभी वोट भाजपा को मिले होते तो इस संसदीय सीट के तहत आने वाले जिन चार विस क्षेत्रों में उपचुनाव हुए, उन सभी में भाजपा जीतती। सुजानपुर हलके में तो अनुराग की सर्वाधिक 23,853 मतों के अंतर से जीत है, जबकि यहां से विधानसभा उपचुनाव में भाजपा के राजेंद्र राणा की 2,440 मतों से हार हुई। गगरेट से अनुराग की 10,944 और कुटलैहड़ से 7,819 वोटों की लीड रही जबकि विधानसभा उपचुनाव में गगरेट में भाजपा 8,487 और कुटलैहड़ में 5356 मतों से हार गई।
इसी के साथ मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक यह भी माना जा रहा था कि 4 लोकसभा सीट वाले हिमाचल प्रदेश से वह केंद्र में मंत्री बनेंगे लेकिन नहीं बने. दरअसल, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल 30 जून को खत्म हो रहा है। संभावित मंत्रियों की लिस्ट में नड्डा का नाम आया और उन्हें केंद्रीय स्वास्थय मंत्री का पद सौंपा गया, वैसे तो वह गुजरात से राज्यसभा सांसद हैं लेकिन रहने वाले हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर के ही हैं। अब हिमाचल जैसे छोटे राज्य से 2-2 मंत्री रखने से क्षेत्रीय संतुलन गड़बड़ा सकता है। इसलिए ठाकुर का पत्ता कट गया। पीएम मोदी के पहले कार्यकाल में जेपी नड्डा उनकी कैबिनेट में शामिल थे और तब हिमाचल से इकलौते केंद्रीय मंत्री थे।
अगर अब अनुराग ठाकुर के राजनीतिक करियर की बात की जाएं तो पहली बार मई 2008 में उस समय भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में पहली बार लोकसभा सांसद चुने गए जब उन्होंने अपने पिता के उत्तराधिकारी के रूप में चुनाव लड़ा. इसके बाद वह लगातार 2009, 2014, 2019 और अब 2024 में फिर सांसद चुने गए हैं. ठाकुर जनवरी, 2019 में संसद रत्न पुरस्कार से सम्मानित किए जाने वाले भारतीय जनता पार्टी के पहले सांसद बने थे
उन्हें संगठन में काम करने का भी अनुभव है. 2010 में ठाकुर को भारतीय जनता युवा मोर्चा का राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया गया और 2016 तक वह इस पद पर बने. बीसीसीआई के अध्यक्ष रह चुके अनुराग ठाकुर ने हिमाचल प्रदेश का प्रतिनिधित्व करते हुए प्रथम श्रेणी क्रिकेट में एक मैच खेला है और 2000/2001 सीज़न में जम्मू और कश्मीर के खिलाफ एक मैच में कप्तान के रूप में टीम का नेतृत्व किया है. वह मई 2015 से फरवरी 2017 तक भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के अध्यक्ष थे.
इतना ही नहीं अनुराग ठाकुर जुलाई 2016 में, प्रादेशिक सेना (Territorial Army) का हिस्सा बने, बाद में, उन्हें कैप्टन के पद पर पदोन्नत किया गया. वह प्रादेशिक सेना में कमीशंड अधिकारी बनने वाले भाजपा के पहले सांसद हैं.
ऐसा नहीं है कि अनुराग ठाकुर को मंत्री पद ना मिला हो इसका कोई विपरीत कारण रहा हो. दूसरी तरफ एक चर्चा और भी है मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक ऐसा माना जा रहा है कि अनुराग ठाकुर को बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है चर्चा हो रही है कि जेपी नड्डा को केंद्रीय मंत्री बनाने के बाद भाजपा हाईकमान अपनी पार्टी के नए अध्यक्ष पद के लिए एक तेज तर्रार युवा नेता की तलाश में है जिस पर अनुराग ठाकुर नाम की चर्चा जोरो पर है.
मिडिया रिपोर्टस के मुताबिक हो सकता है कि नड्डा का कार्यकाल खत्म होने के बाद अनुराग ठाकुर को राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद सौंपा जा सकता है. ऐसे में अनुराग ठाकुर को मंत्री पद ना मिलने के दो कारण बताएं जा रहे है एक तीन उपचुनाव में हार और दूसरा संगठन में बड़ी जिम्मेदारी को मिलना.
वहीं अनुराग ठाकुर कहना है कि हम पार्टी के कार्यकर्ता पहले हैं. हमीरपुर संसदीय क्षेत्र की जनता ने मुझे पांचवी बार सांसद बना है और पांचवी बार सांसद बनना एक संसदीय क्षेत्र से अपने आप में बड़े सम्मान की बात है. भारतीय जनता पार्टी ने मुझे पांच बार चुनाव लड़ने का अवसर दिया. कार्यकर्ता के रूप में पहले भी काम किया है और आगे भी करेंगे.
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