हिमाचल प्रदेश को देवभूमि कहा जाता है जिसे सब लोग जानते हैं। प्रदेश की देव-परंपराएं भी देश-विदेश में विख्यात है। इसी प्रदेश का जिला कुल्लू जहां पर देवी-देवताओं का आदेश आज भी लोगों के लिए सर्वमान्य है। देवी- देवताओं के आदेश को ग्रामीण लोग अब भी इतनी कठोरता से पालन करते हैं कि महिलाओं का जीना भी संघर्षपूर्ण हो जाता है।
21वीं सदी में आज भी जिला कुल्लू के ग्रामीण इलाकों में महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान घरों से बाहर निकाल दिया जाता है। मौसम कैसा भी हो, महिलाओं को इस दौरान कहीं 5 तो कहीं 7 दिन के लिए जीवन बहुत ही कठिन बना दिया जाता है।
गौशाला में रहती है महिलाएं
कुल्लू में देव प्रथा के अनुसार मासिक धर्म के दौरान महिलाएं अशुद्ध हो जाती है और घर में प्रवेश करने से घर के सभी सामान भी अशुद्ध माने जाते है। मासिक धर्म के दौरान महिलाओं से अछूत की तरह व्यवहार किया जाता है और घर के सदस्य भी उन्हें छूने से कतराते है। कुल्लू में मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को घर से बाहर गौशाला में रखा जाता है। महिलाओं को खाना पीना भी अलग बर्तनों में दिया जाता है।
हालांकि शहरी इलाकों में यह प्रथा अब न के बराबर है। कुछ इलाकों में अब महिलाओं को 3 दिन ही घर से बाहर रखा जाता है और उन्हें रहने के लिए घर से बाहर अलग कमरे बनाये गए हैं। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी महिलाओं को गौशाला में ही सोना पड़ रहा है।
संक्रामक बीमारियां के फैलने का रहता है डर
मासिक धर्म के दौरान महिलाओं द्वारा सफाई का ध्यान न रखना उनकी सेहत के लिए नुकसान दायक साबित हो रहा है। गौशाला में रहने से उन्हें कई संक्रामक बीमारियां हो रही है। जिला प्रशासन ने जब स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर ऐसे ग्रामीण इलाकों में महिलाओं के स्वास्थ्य की जांच की तो अधिकतर महिलाओं में मासिक के दौरान सफाई न रखने से होने वाली बीमारियां पाई गई।