<p>मेक इन इंडिया के तहत स्वदेशी तकनीक अपनाते हुए रेलवे ने वाराणसी रेल इंजन कारखाना में WAGC- 3 श्रेणी के रेल इंजन से शुरुआत की है। भारतीय रेल के डीज़ल लोकोमेटिव वर्क्स ने विश्व के पहले डीज़ल रेल इंजन को इलेक्ट्रिक रेल इंजन में बदला है। पीएम मोदी ने दुनिया की पहली डीजल से इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव इंजन को हरी झंडी दिखाई है। वाराणसी रेल इंजन कारखाना में पीएम मोदी ने दिव्यांग जनों से मुलाकात भी की है। वाराणसी के डीजल रेल इंजन कारखाना ने विश्व में पहली बार डीजल रेल इंजन को इलेक्ट्रिक रेल इंजन में बदलकर स्वर्णिम इतिहास रचा है।</p>
<p>आपको बता दें यह इलेक्ट्रिक रेल इंजन माल गाड़ी में उपयोग किया जायेगा। यह इंजन प्रदूषण मुक्त है और डीज़ल इंजन के मुक़ाबले बेहतर स्पीड और 10 हजार होर्स पावर की क्षमता देने में कारगर हैं।</p>
<p>वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि दुनिया के पहले डीज़ल इंजन को इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव इंजन बनाने के लिए हमारे इंजीनियरों को बधाई। 10K HP लोकोमोटिव को पीएम मोदी ने हरी झंडी दिखाई है। इस कदम से देश में मेक इन इंडिया को बढ़ावा मिलेगा।</p>
<p>गौरतलब है कि इस परियोजना पर 22 दिसंबर, 2017 को काम शुरू हुआ था और नया लोकोमोटिव 28 फरवरी, 2018 को तैयार करके भेजा गया था। रेलवे ने गुरुवार को बताया कि अवधारणा से लेकर डीजल लोकोमोटिव को इलेक्ट्रिक इंजन में बदलने तक का काम महज 69 दिन में पूरा किया गया। यह उसके ब्रॉडगेज नेटवर्क को पूरी तरह विद्युतीकृत करने के प्रयासों का हिस्सा है। इससे लोकोमोटिव की क्षमता 2600 एचपी से बढ़कर 5000 एचपी हो गयी है। ऐसा करके रेलवे ने इतिहास रच दिया है।</p>
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