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22 अप्रैल 2025 को हुए पहलगाम आतंकी हमले का भारत ने दिया करारा जवाब
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ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने नूर खान एयरबेस समेत कई सैन्य ठिकानों को किया तबाह
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न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट: भारत का अगला निशाना हो सकता है परमाणु कमांड सेंटर
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को उसके ही घर में घुसकर करारा जवाब दिया है। भारतीय सेना द्वारा चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों, एयरबेस, और एयर डिफेंस सिस्टम को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया गया।
نور خان ائیر بیس پر شدید حملہ وڈیو میں آواز سن سکتے pic.twitter.com/9LaB7nYfnO
— Azadar_♡ (@callme_azadar15) May 9, 2025
सबसे बड़ा झटका पाकिस्तान को तब लगा जब रावलपिंडी स्थित नूर खान एयरबेस पर भीषण हमला हुआ। यह एयरबेस पाकिस्तान की वायुसेना की रीढ़ की हड्डी माना जाता है और यहां से ही उसकी परमाणु गतिविधियों की रणनीतिक निगरानी होती है।
#BREAKING : Noor Khan Airbase of PAF is completely obliterated by Indian Retaliatory strikes. pic.twitter.com/yiiYQ35HTo
— Griffon Intelligence Network (@GriffonNewsX) May 9, 2025
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, जब नूर खान एयरबेस पर धमाके हुए, तब पाकिस्तान को यह डर सताने लगा कि भारत कहीं उसके परमाणु कमांड सेंटर को निशाना न बना दे। रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि यह हमला भारत की ओर से स्पष्ट चेतावनी है कि अगला निशाना परमाणु हथियारों पर हो सकता है।
नूर खान एयरबेस पर हुए हमले का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें स्थानीय लोग चिल्लाते हुए कह रहे हैं – “भाईजान नूर खान एयरबेस पर मिसाइल गिरी है। अभी-अभी एक जहाज गुजरा है और हमला किया है।” यह वीडियो इस बात का गवाह बन गया है कि हमला बेहद सटीक और तेज़ था।
पाकिस्तान के लिए यह हमला एक रेड लाइन क्रॉस करने जैसा माना जा रहा है। एक पूर्व अमेरिकी अधिकारी के हवाले से बताया गया कि इस हमले ने पाकिस्तान के भीतर परमाणु इंफ्रास्ट्रक्चर की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है। अधिकारी के मुताबिक – “इस हमले से यह स्पष्ट हो गया है कि भारत में इतनी सामरिक क्षमता है कि वह पाकिस्तान के स्ट्रेटेजिक प्लान डिवीजन तक पहुंच सकता है।”
ऑपरेशन सिंदूर भारत की सैन्य और रणनीतिक शक्ति का वो उदाहरण है जिसने यह दिखा दिया है कि भारत आतंक के खिलाफ कार्रवाई में अब कोई कोताही नहीं बरतेगा। यह ऑपरेशन न केवल सैन्य दृष्टि से बल्कि राजनीतिक और कूटनीतिक रूप से भी निर्णायक रहा।