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आज है संविधान दिवस, जानिए इस दिन का इतिहास और कुछ रोचक तथ्य

डेस्क |

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने 19 नवंबर 2015 को नागरिकों के बीच संवैधानिक मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए हर साल 26 नवंबर को ‘संविधान दिवस’ के रूप में मनाने के भारत सरकार के फैसले को अधिसूचित किया.

 

इसी के साथ संविधान सभा के प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ॰ भीमराव आंबेडकर के 125वें जयंती वर्ष के रूप में 26 नवम्बर 2015 को पहली बार भारत सरकार द्वारा संविधान दिवस सम्पूर्ण भारत में मनाया गया तथा 26 नवम्बर 2015 से प्रत्येक वर्ष सम्पूर्ण भारत में संविधान दिवस मनाया जा रहा है.

 

 

वहीं, हमारा संविधान हाथों से लिखा गया है और यह दुनिया का सबसे बड़ा हाथों से लिखा गया संविधान है. हमारा संविधान प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने लिखा है. 9 दिसम्बर को हुई पहली बैठक में संविधान सभा ने अपना कार्यकारी अध्यक्ष चुना और उसके दो दिन बाद , 11 दिसंबर 1946 को डॉ राजेन्द्र प्रसाद को सभा का स्थायी अध्यक्ष चुना गया.

 

 

इस दिन हर देशवासी इस बात को लेकर गौरव महसूस करता है कि संविधान हम सब की सर की छत है. इस दिन स्कूल, कॉलेजों में भाषण प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जाता है. वहीं, भारत के संविधान में 22 भागों और 8 अनुसूचियों में 395 लेख शामिल थे. जिसमें लगभग 145,000 शब्द थे. भारतीय संविधान अब तक अपनाया गया सबसे लंबा राष्ट्रीय संविधान है. वर्तमान में संविधान में 25 भागों में 470 लेख और पांच परिशिष्टों के साथ 12 अनुसूचियां हैं.

 

संविधान सभा के सदस्यों ने 2 साल और 11 महीने की अवधि में कुल 11 सत्र और 167 में पूरे संविधान का निर्माण किया था. बाबा साहब भीमराव अंबेडकर को संविधान का जनक माना जाता है. प्रेम बिहारी मने मूल संविधान को इटैलिक शैली में हाथ से लिखा. जिसके प्रत्येक पृष्ठ को चित्रकार राममनोहर सिन्हा और नंदलाल बोस ने अलंकृत किया