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एफिल टावर से ऊंचा चिनाब ब्रिज राष्ट्र को समर्पित: 266 किमी/घंटे की हवा, भूकंप और धमाके भी बेअसर

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  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चिनाब रेलवे ब्रिज का किया उद्घाटन, 22 साल में बना ये अद्भुत इंजीनियरिंग चमत्कार

  • एफिल टावर से ऊंचा, 63 मिमी ब्लास्ट-प्रूफ स्टील से बना पुल आतंकवाद और भूकंप से सुरक्षित

  • अब कन्याकुमारी से कश्मीर घाटी तक सीधे रेल संपर्क का सपना होगा साकार


ChenabBridge: जम्मू-कश्मीर के चिनाब नदी पर बना दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल अब भारत का नया गौरव बन गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेलवे लिंक (USBRL) के सबसे कठिन और महत्वपूर्ण हिस्से चिनाब ब्रिज का उद्घाटन कर इसे राष्ट्र को समर्पित किया। 1315 मीटर लंबा यह आर्क ब्रिज एफिल टावर से भी ऊंचा है और इसे बनाने में 22 साल का लंबा वक्त लगा।

इस प्रोजेक्ट की शुरुआत 1995 में हुई थी, जब जम्मू-उधमपुर रेल लाइन को श्रीनगर और बारामूला तक बढ़ाने की मंजूरी मिली। सालों की चुनौतियों, निर्माण तकनीक की जटिलता और आतंकवाद जैसी बाधाओं के बावजूद, यह प्रोजेक्ट आज पूरा हो चुका है। अब देश के दक्षिण छोर कन्याकुमारी से लेकर उत्तर के कश्मीर घाटी तक सीधे ट्रेन सेवा संभव हो सकेगी।

चिनाब ब्रिज की जरूरत क्यों थी?
इससे पहले ट्रेनें सिर्फ जम्मू तवी तक ही पहुंच पाती थीं और इसके आगे श्रीनगर तक का सफर सड़क या हवाई मार्ग से करना पड़ता था। बर्फबारी और भूस्खलन के चलते सड़क मार्ग अवरुद्ध हो जाता था। ऐसे में कश्मीर घाटी को पूरे देश से जोड़ने के लिए रेल मार्ग जरूरी था, और इसी के केंद्र में था चिनाब पुल।

क्या है चिनाब ब्रिज की खासियत:

  • आर्क ब्रिज डिजाइन, जो 469 मीटर के मेन आर्क पर टिका है

  • 359 मीटर ऊंचा पुल, एफिल टावर से करीब 35 मीटर ऊंचा

  • 266 किमी/घंटे तक की हवा की रफ्तार सहने में सक्षम

  • 8 रिक्टर स्केल तक के भूकंप व धमाकों को झेलने में सक्षम

  • 63 मिमी मोटी ब्लास्ट-प्रूफ स्टील, जिससे आतंकी हमलों का असर ना हो

  • 17 स्टील पिलर, 3000 फीट ऊंचाई पर बने, जिन पर ब्रिज का भार टिका है

तकनीक और वैश्विक सहयोग: इस पुल को कनाडा की WSP ने डिज़ाइन किया, जबकि कोंकण रेलवे के नेतृत्व में AFCONS, Ultra Construction, South Korea की कंपनियों और VSL India ने निर्माण में सहयोग किया। निर्माण में भिलाई स्टील प्लांट से खास स्टील लिया गया और हर स्टील पार्ट की ब्लास्ट लोड टेस्टिंग भी की गई।

सुरक्षा की दृष्टि से भी अभेद्य: इस पुल की सुरक्षा की जिम्मेदारी अब CRPF के कमांडोज़ को सौंपी गई है, जो 24 घंटे गश्त पर रहेंगे। पुल के ऊपर से ट्रेन भले धीमी गति से चले, लेकिन धमाकों या आपात स्थिति में 30 किमी/घंटे की रफ्तार से पार हो सकती है।

भारत के लिए क्या है इसका महत्व: यह पुल तकनीकी आत्मनिर्भरता, रणनीतिक मजबूती और कश्मीर घाटी के विकास का प्रतीक है। यह रक्षा आवश्यकताओं के लिहाज़ से भी अहम है, क्योंकि सीमा से सटे इलाकों तक अब तेज़ी से पहुँच संभव होगी।