कहा जाता है पीतल के बर्तन में अगर आप भोजन करें तो काफी फायदे मंद रहता है। पुराने वक़्त में लोग पीतल और तांबे के बर्तनों का ही ज्यादा इस्तेमाल करते थे। लेकिन बदलते वक़्त के साथ स्टील के बर्तनों ने सारा ट्रेंड ही बदल दिया। लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि किस तरह के बर्तनों में भोजन करना चाहिए। रसोई में रखें अलग-अलग धातु के बर्तनों का अलग-अलग महत्व होता है।
मीडिया रिपोर्ट का दावा है कि पहले लोग अपनी-अपनी क्षमतानुसार चांदी, फूल, कांसा, पीतल, लोहे के बर्तनों का इस्तेमाल करते थे, लेकिन आज कल शरीर के अंदर राहु का प्रकोप बढ़ता जा है, जो विषाक्त है। कैंसर तक के रोग दे रहा है। जिससे आयु क्षीण होती जा रही है।
- पीतल- पीतल के बर्तन में भोजन पकाने और खाने से कृत्रिम रोग, कफ और वायुदोष की बीमारी नहीं होती है। पीतल के बर्तन में खाना बनाने से केवल 7 प्रतिशत पोषक तत्व नष्ट होते हैं।
- मिट्टी के बर्तन- मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने से ऐसे पोषक तत्व मिलते हैं, जो हर बीमारी को शरीर से दूर रखते थे। इस बात को अब आधुनिक विज्ञान भी साबित कर चुका है कि मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने से शरीर के कई तरह के रोग ठीक होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, अगर भोजन को पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाना है, तो उसे धीरे-धीरे ही पकना चाहिए। भले ही मिट्टी के बर्तनों में खाना बनने में वक़्त थोड़ा ज्यादा लगता है, लेकिन इससे सेहत को पूरा लाभ मिलता है।
- तांबा- तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से व्यक्ति रोग मुक्त बनता है, जठराग्नि शान्त रहती है। लीवर संबंधी समस्या दूर होती है, तांबे का पानी शरीर के विषैले तत्वों को खत्म कर देता है।
- लोहे- लोहे के बर्तन में बने भोजन खाने से शरीर की शक्ति बढ़ती है, लोहातत्व शरीर में जरूरी पोषक तत्वों को बढ़ता है। लोहे के बर्तन में फोलिक एसिड पाया जाता है, जिससे शरीर में खून की मात्रा बढ़ती है।
- स्टील- स्टील के बर्तन नुकसानदायक नहीं होते हैं, क्योंकि ये न ही गर्म से क्रिया करते है और न ठंडा होने पर, इसलिए इससे नुकसान नहीं होता है।
- कांस- कांसे के बर्तन में खाना बनाने से केवल 3 प्रतिशत ही पोषक तत्व नष्ट होते हैं। रक्त शुद्ध होता था।