<p>एक बार फिर भारत अपनी आजादी की वर्षगांठ मना रहा है। 15 अगस्त 1947 से लेकर 71 वर्ष बीत गए लेकिन आज जहां हम रह रहे है क्या यही गांधी का अभिशिप्त भारत है? क्या उनके रोम रोम आत्मा में यही भारत बसा था? क्या ये सैकडों , स्वतंत्रता सैनानियों, शहीदों, बलिदानियों, दीवानों का भारत है जो दुर्दम, आतातायी विदेशी आक्रांताओं से आंदोलन करते समय सदैव उनके मन में विद्यमान रहता था। जिसपर उनको नाज़ था, जिसके शानदार अतीत, समृद्ध संस्कृति एवम इतिहास ने उनको अभिभूत अनुप्राणित किया था। उन्होंने भारत माता की पुनर्प्रतिष्ठा के लिए अपने जीवन की बाज़ी लगा दी थी।</p>
<p><strong>हंसते हुए दे दिए प्राण, भारत माता की गरिमा महिमा पर बट्टा नहीं लगने दिया</strong></p>
<p>बंदे मातरम का उद्घोष करते , भारत माँ की जयकार करते हुए न जाने कितने ही शहीदों ने हंसते-हंसते स्वतंत्रता की बलिबेदी पर अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। लेकिन, भारतमाता की गरिमा महिमा पर बट्टा नहीं लगने दिया। उनके ज़हन में फांसी का फंदा कालापानी और सभी अमानवीय यातनाएं सब उस मंज़िले मकसूद के सामने तुच्छ थीं। परन्तु मिला क्या? विभाजन की बहुत बड़ी कीमत चुकाकर 15 अगस्त 1947 को भारत देश ब्रिटानिया हुकूमत की राजनीतिक दासता से मुक्त हुआ। विभाजन ने देश को कभी न भरने वाले तीखे घाव दिए, लाखों करोड़ों जिन्दगियां तबाह हो गईं। इससे भी बड़ा धक्का देशवासियों को उस वक़्त लगा जब उन्होंने देखा और महसूस किया कि स्वतंत्रोतर जो भारत उनका अजीज था उसे मटियामेट किया जा रहा है। देशी साहबों द्वारा पग पग पर अंग्रेजियत का इस्तेकबाल किया जा रहा है।</p>
<p><strong>न जाने कितना खून आज़ादी की क्रांति की भेंट चढ़ा है</strong></p>
<p>लगभग एक शताब्दी के सतत संघर्ष एवं बहुमूल्य बलिदानों की बदौलत देश गुलामी की बेड़ियों से मुक्त हुआ। कितना ही खून इस क्रांति की भेंट चढ़ाया गया, कितने ही शीश भारत माता को अर्पित किए गए तब जाकर शहीदों के पावन रक्त से अभिशिप्त होकर गुलामी के पाश से भारत भूमि आज़ाद हो पाई। स्वतंत्रता महायज्ञ का प्रारंभ तो सन 1857 में महारानी लक्ष्मीबाई के वीरतापूर्ण बलिदान से ही हो गया था। 19वी शताब्दी के अंतिम दशक में तीन चापेकर भाई व उनके साथी धरती माँ के लिए अपने जीवन की आहुति देकर भारत माँ व अपनी जन्मदात्री को धन्य कर गए।</p>
<p><strong>अंग्रेजों ने कठोर यातनाएं देकर मौत के घाट उतारे कई क्रांतिकारी</strong></p>
<p>आज़ादी की साधना का ये यज्ञ निरन्तर चलता रहा। 1905 में बंग-भंग के समय पूर्ण भारत के लाल एक स्वर में अंग्रेजों की "फूट डालो और राज करो" की कूटनीति के खिलाफ उठ खड़े हुए। कितने देशभक्त फांसी के फंदों पर झूल गए नतीज़तन बंगाल का विभाजन रुक गया। काले पानी की काल कोठरियों में देश के असंख्य जवानों को कठोर यातनाएं देकर मौत के घाट उतारा गया और फांसी पर लटकाया गया।</p>
<p><strong>वीरों ने किया आज़ादी के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर</strong></p>
<p>यह भी निर्विवाद सच है कि आजादी के पथ के पथिकों का एक बड़ा तबका सत्याग्रह एवं अहिंसक मार्ग से महात्मा गांधी के नेतृत्व में आगे बढ़ा और अपने तरीके से देश में आंदोलन खड़ा किया। इस आंदोलन में गांधी जी के योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता है। लेकिन, यह कहना और मानना की हमें आज़ादी बिना खड़ग बिना ढाल मिल गई उन हुतात्माओं की शहादत का अपमान होगा, जिन्होंने राष्ट्र की आज़ादी के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया और सरफरोशी की तमन्ना लिए कातिल की बाजुओं का जोर आजमाते हुए शहादत को प्राप्त हुए। </p>
<p><strong>मंज़िलें उन्हें मिली जो शरीखे सफर न थे</strong></p>
<p>71 वर्ष की दीर्घावधि में बहुत कुछ हुआ भारत परतंत्रता की बेड़ियों से मुक्त होकर आगे बढ़ा। तैंतीस करोड़ लोगों का भारत आज सवा अरब से पार के मनुष्यों का देश हो गया। 1947 में क्षत विक्षत ही सही आज़ादी तो मिली। धीरे -धीरे वे भी महाप्रयाण करते गए , जिन्होंने स्वतंत्रोतर यज्ञ में अपना सर्वस्व होम किया था। मंज़िलें उन्हें मिली जो शरीखे सफर न थे। इस काल में शब्द भी बदले परिभाषाए भी बदली। कहां अंग्रेजी गोलियों के बीच सहर्ष छलनी करवाते किशोर एवम तरुण भारतीय आत्मा माखनलाल चतुर्वेदी के स्वर में मिलकर गाते थे-</p>
<p><span style=”color:#f39c12″><em><strong>मुझे तोड़ लेना वनमाली,<br />
उस पथ पर तुम देना फेंक,</strong></em></span></p>
<p><br />
<span style=”color:#009900″><em><strong>मातृभूमि हित शीश चढ़ाने,<br />
जिस पथ जाएं वीर अनेक</strong></em></span></p>
<p>लेकिन, आज क्या हम शहीदों की शहादत से इंसाफ कर पा रहे हैं। क्योंकि एक लड़ाई वह थी जो अंग्रेजी हुकूमत से लड़ी गई। लेकिन, आज लड़ाई अपने आप से है, आतंकवाद से है, भ्रष्टाचार से है, कुछ नापाक पड़ोसियों से है, साम्प्रदायिकता के खिलाफ है और कुछ अपनों से भी देश को बचाना है।</p>
NDA Victory in Maharashtra: भारतीय जनता पार्टी की जिला उपाध्यक्ष उषा बिरला ने महाराष्ट्र में…
Shimla Prison Fight: शिमला के कैथू जेल में शनिवार को दो कैदियों के बीच कंबल…
Free health camp Sujanpur: प्रयास संस्था के माध्यम से पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सांसद अनुराग…
Blog: Shivanshu Shukla Kangra Airport flight disruptions: देश विदेश के सैलानियों के लिए आकर्षण और…
DigiLocker issues for disabled: मंडी के बाबा भूतनाथ मंदिर परिसर में शनिवार को हिमालयन दिव्यांग…
Himachal Technical University convocation: हिमाचल प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय, हमीरपुर का पांचवां दीक्षांत समारोह राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी…