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जानिए कैसा रहा ‘अटल टनल’ के निर्माण का अब तक का सफर

बबली |

करीब 10 साल से बन रही अटल रोहतांग टनल का काम पूरा हो चुका है। 3 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उद्घाटन के लिए हिमाचल आ रहे हैं जिसके लिए तैयारियां जोरों पर हैं। रोहतांग टनल सामरिक दृष्टि से महत्व रखने के साथ-साथ विश्व के लिए एक अद्भुत तोहफा है। क्योंकि इतनी ऊंचाई पर बनी ये सुरंग काफी कठिनाइयों के बाद बनकर तैयार हुई है। ऐसी जगह पर ये सुरंग बनी हैं जहां साल में 6 महीने बर्फ पड़ी रहती है। कंपनी के मुश्किल हालातों के बीच 3 से 4 हज़ार करोड़ की लागत में इसे तैयार किया है जो निर्धारित बजट से 2 गुणा ज्यादा है।

सुरंग का उद्घाटन होने के बाद 9 किलोमीटर लंबी इस टनल से सफर शुरू हो जाएगा। इससे मनाली और लेह मार्ग पर 46 किलोमीटर कम सफर करना पड़ेगा। टनल समुद्रतल से 10 हजार 71 फीट की ऊंचाई पर स्थित पहाड़ को भेदकर बनाई गई है जो लेह और मनाली को आपस में जोड़ती है। इसके चलन से खासकर सभी तरह के मौसम में लाहौल और स्पीति घाटी के अधिक दूरी वाले क्षेत्रों के साथ भी संपर्क बना रहेगा। यानी अब प्रदेश के सबसे बड़ा क्षेत्रिय जिला अब बर्फ के कारण 6 महीने तक देश-दुनिया से कटा नहीं रहेगा।

सुरंग निर्माण में गई कइयों की जानें  

मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि अटल टनल के निर्माण के लिए अभी तक 80 मजदूरों की जान जा चुकी है। इसमें 60 लोगों की मौत केलंग में बादल फटने के कारण हुई थी। 10 साल के निर्माणाधीन अवधि में ऊंचाई वाले क्षेत्र औऱ पहाड़ की खुदाई में कई ऐसी घटनाएं हुईं जिनका आज कोई  हिसाब नहीं। न जाने उन मजदरों और उनके परिवारों को आज कुछ मदद मिलती भी है जिन्होंने काम के दौरान अपनी जिंदगियां गवां दी।

टनल के लिए बनी साउथ पोर्टल सड़क

सोलंगनाला से अटल टनल के साउथ पोर्टल तक बनने वाली 23 किलोमीटर सड़का का काम 2002 में ही शुरू हो गया था। उस वक़्त पास ही इलाके कांगणी नाला में अचानक बादल फटने से 60 लोगों की मौत हुई थी। यानी कि सुरंग के निर्माण से पहले सड़कें जो पहुंचाई जानी थी उसका काम भी सुरंग के चलते ही तेजी से किया जा रहा था। 2008 में एक बार फ़िर इसी जगह पर बादल फटा लेकिन कोई नुकसान नहीं हुआ। इसके बाद साउथ पोर्टल सड़क को टनल को जोड़ने वाला हॉकी पुल गर्ग एंड गर्ग कंपनी ने करोड़ों की लागत से बनाया था।

अटल जी की सोच पर यूपीए सरकार की मुहर…!!

रोहतांग जैसे ऊपरी इलाके में सुरंग की सोच का जन्म वास्तव में करगिल युद्ध के वक़्त 1999 में हुआ था। 1983 में इस बारे में सोच विचार होता रहा लेकिन 99 के युद्ध के बाद अटल बिहारी वाजपेई ने युद्ध विजयी के बाद इसका पूर्णता विचार किया था। उन्होंने 2 जून 2002 को लाहौल-स्पीति के केलंग में आकर इसकी विधिवत घोषणा की। लेकिन कई सरकारें आती जाती रहीं 10 से 11 साल इसका काम शुरू नहीं हो पाया जिसका बड़ा कारण सड़क नेटवर्क न होना भी माना जा सकता है। इसी बीच अटल जी की सरकार की रहते आस-पास की सड़कें या फ़िर सुरंग को जोड़ने वाली सड़कों का काम जारी हो चुका था। आख़िर में 2010 में मनमोहन सरकार ने इस प्रोजेक्ट में दिलचस्पी दिखाई औऱ शिलान्यास कर इसका काम शुरू कर दिया गया।

तत्काल यूपीए सरकार ने बजट के साथ-साथ 2015 तक इसे पूरा करने का लक्ष्य भी रखा, लेकिन जमीनी स्तर पर आ रही दिक्कतों ने काफ़ी वक़्त जायर किया। देश और प्रदेश में सरकारें बदलती रहीं औऱ इस दौरान कुछ एक दिक्कतें भी सामने आईं। आलम ये रहा कि कुछ वक़्त के पेंडिंग के बाद काम दोबारा शुरू हो जाता था। ज़मीनी स्तर पर आई दिक्कतों के बाद बजट की दिक्कत भी बढ़ी जिसे सरकारों ने हल किया। काम में तेजी आने के बाद नेता इसे श्रेय की होड़ से देखने लगे और अपने-अपने नंबर बटोरने लगे। 2017 में हिमाचल चुनाव के बाद सरकार ने इस प्रोजेक्ट को बिलकुल देरी नहीं की औऱ जैसे काम हो रहा था चलता रहा। 2020 में आख़िरकार ये सुरंग बनकर तैयार हो चुकी है जिसका उद्घाटन 3 अक्टूबर 2020 को होने वाला है।

कैसे पड़ा नाम 'अटल सुरंग'

अपने शांत और कुशल व्यव्हार से जाने जाने वाले अटल बिहारी वाजपेई का अगस्त 2018 में निधन हो गया। उनके निधन पर देश भर में सनाटा सा छा गया और यहां तक विपक्षी दलों ने भी दिल से श्रद्धांजलि अर्पित की। शायद किसी व्यक्ति ने अटल जी के निधन पर दुख़ न प्रकट किया हो। उनके निधन के बाद केंद्र सरकार ने अटल जी की 95वीं जयंती पर रोहतांग टनल का नाम अटल सुरंग रखने का ऐलान किया। उनकी सोच और सरकारों की नीति से सुरंग बनकर तैयार हो चुकी है। देश में उनके योगदान के रूप में इस टनल का नाम अटल सुरंग रखने को कहा जिसका किसी दल ऐतराज नहीं जताया।

यह टनल पहले रोहतांग टनल के नाम से बनाई जा रही थी, लेकिन बाद में इसका नामकरण अटल रोहतांग टनल किया गया। अटल टनल बनाने का सपना इंदिरा गांधी के साथ-साथ लाहौल स्पीति की पूर्व विधायक लता ठाकुर और पूर्व विधायक देवी सिंह ठाकुर ने भी देखा था। इनके इस सपने को अटल बिहारी वाजपेयी औऱ कई सरकारों ने मिलकर पूरा किया।

सेना औऱ पर्यटकों के लिए खुला रोहतांग

रोहतांग टनल बनने से सेना और पर्यटकों के आने-जाने की राह आसान हो जाएगी। यह टनल लद्दाख के लोगों को 12 महीने सड़क की सुविधा प्रदान करेगी। लाहौल स्पीति और पांगी जैसे क्षेत्र भी इस टनल के माध्यम से देश के साथ जुड़े रहेंगे। इस कारण पर्यटक भी इस टनल से जल्दी लद्दाख पहुंच जाएंगे। यह कहा जा सकता है कि पर्यटन को बढ़ावा देने में यह काफी महत्वपूर्ण है। सर्दियों में बर्फ बड़ने पर भी इस टनल से सैन्य काफिला रोहतांग दर्रे से होकर कारगिल तक पहुंचेगा। मनाली के पास सोलांग घाटी से लाहौल के सिसू के बीच की दूरी अब दस मिनट में तय होगी। अटल टनल से चीनी सीमा पर मौजूद भारतीय सेना को भी काफी फायदा पहुंचेगा।

4G सुविधा से लेस है सुरंग

अटल टनल रोहतांग को BSNL ने 4जी कनेक्टिविटी से लैस कर दिया है। यह दुनिया की पहली टनल होगी जिसमें 4जी कनेक्टिविटी मुहैया करवाई गई है। टनल के अंदर 25mb/s की स्पीड रहेगी साथ ही तेज गति वाहनों में 10mb/s की हाई स्पीड मिलेगी। टनल के मुख्य द्वार के पास आईपीपीबी एक्स उपकरण स्थापित किए गए हैं। इससे टनल के साथ लगते क्षेत्रों में लैंडलाइन, ब्रॉडबैंड और हॉटलाइन इत्यादि की सुविधा मुहैया करवाई जाएगी। कुल्लू और मनाली के बीच 34 किलोमीटर तक अपने ट्रांसमिशन नेटवर्क को दुरुस्त कर चालू कर दिया गया है।

कोविड स्थिति में होड़ की जंग

आज महामारी का दौर चल रहा है। ऐसे में हिमाचल की बीजेपी और जयराम सरकार की हर काफी फ़जीहत हो रही है। क्योंकि कोविड काल में घोटाले, घटिया स्वास्थ्य सुविधाएं, बिजली-पानी-किराया महंगे जैसे फैसलों ले सरकार की खूब खिल्ली उड़ाई। यहां तक अनलॉक चालू होत ही प्रदेश सरकार ने आम जनता से एक तरह से पल्ला सा झाड़ लिया जो कि सरकार के लिए काफी फजीहत भरा रहा। हिमाचल में ही नहीं प्रदेश के लगभग सभी राज्यों में ऐसे ही हुआ क्योंकि आर्थिक व्यवस्था जिस तरह चरमराई उसके बाद देश को और बंद रखना संभव नहीं था। ऐसे में प्रदेश सरकार ने भी आर्थिकी के साधन शुरू किए, लेकिन महामारी के वक़्त जनता के लिए कोई सुविधा, इंतजाम नहीं किया।

मौजूदा प्रदेश सरकार सिर्फ और सिर्फ रोहतांग टनल के श्रेय में व्यस्त है। प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रम को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं, करोड़ों का खर्च किया जा रहा और वास्तव में सरकार जनता की व्यवस्था के लिए आर्थिक तंगी की बात कर रही है। प्रदेश के मुखिया रोहतांग टनल औऱ प्रधानमंत्री के दौरे के लिए आए दिन चक्कर काट रहे हैं, लेकिन स्वास्थ्य सुविधाएं या किसी और समस्या के लिए सिर्फ जांच की बात कह दी जाती है। प्रदेश सरकार औऱ उनके मंत्री किसी मुद्दे पर कुछ और कहते हैं जबकि दूसरे मंत्री कुछ और। ख़ैर अब 3 तारिख को अटल सुरंग का उद्घाटन होने वाला है। लेकिन क्या प्रदेश सरकार ने इसकी पब्लिसिटी कर ये जाहिर कर दिया है कि श्रेय लेने के साथ-साथ हम जनता के मन से पिछले 1 साल के सभी असफ़ल काम प्रधानमंत्री मोदी के माध्यम से मिटा देंगे….?????