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क्या दो दिग्गजों के निधन के बाद केंद्र में अनुराग की पकड़ पर पड़ेगा असर !

<p>अगस्त महीना बीजेपी के लिए शोकगुल रहा है जिसका कारण 2 बड़े चेहरे इस दुनिया को अलविदा कह गए। पहले सुषमा स्वराज और फिर पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली। दोनों ही पूर्व मंत्रियों का हिमाचल के युवा नेता अनुराग ठाकुर पर गहरा असर रहा है और यही कारण है कि केंद्रीय राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर पूरी तरह इस दौरान इनके परिवारों के साथ खड़े नज़र आये।</p>

<p>सांसद अनुराग ठाकुर इस बार राज्य मंत्री बने तो उन्हें विशेष रूप से वित्त विभाग दिया गया और माना ये भी जाता है कि अरुण जेटली के साथ उनके निजी सम्बन्ध इसमें बहुत काम आये। अनुराग भी वित्त विभाग मिलने पर आश्वस्त इसलिए रहे क्योंकि उन्हें इस बार में अपने वऱिष्ठ नेता अरुण जेटली का पूरा साथ मिलना तय था।</p>

<p>अब अरुण जेटली नहीं रहे ऐसे में राजनीतिक रूप से अनुराग ठाकुर को सबसे बड़ा नुकसान माना जा सकता है।<br />
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वहीं, अगर यहां सुषमा स्वराज की बार करें तो अनुराग की तिरंगा यात्रा में सुषमा स्वराज की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही थी। वहीं तिरंगा यात्रा अनुराग ठाकुर को राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने में भी अहम भूमिका रही थी।</p>

<p>उस समय भी अनुराग ठाकुर हमीरपुर लोकसभा से सांसद थे और साथ ही युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी थे। मोर्चे में जोश भरने के लिए सुषमा स्वराज अनुराग के साथ ना सिर्फ खड़ी रही बल्कि उन्होंने अनुराग ठाकुर की इस तिरंगा यात्रा की खूब चर्चा भी की थी।</p>

<p>तिरंगा यात्रा जब निर्णायक रूप से जम्मू में प्रवेश करने वाली थी उस समय इन दोनों बड़े नेताओं ने अनुराग के साथ कमान संभाली और एक राजनीतिक पहचान अनुराग को राष्ट्रीय सत्तर&nbsp; पर दिलवाने में कामयाब भी रहे थे। इसलिए कहा जा सकता है कि इन दोनों नेताओं के जाने से अनुराग ठाकुर को निजी के साथ राजनीतिक नुकसान भी हुआ है।</p>

<p>अनुराग के सहयोगी बतातें हैं कि जेटली जब एम्स में भर्ती थे उस समय पल पल की जानकारी उनकी सेहत को लेकर उनके पास रहती थी और कहीं ना कहीं उनका ये जुड़ाव ही था उन्हें इस तरह से चिंतित किए हुए था।</p>

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