<p>पुरानी कहावत है कि इतिहास अपने आप को दोहराता है। मगर, हिमाचल कांग्रेस में इतिहास खुद को दोहराएगा…इसका खुलासा जल्द होने वाला है। ख़बर है कांग्रेस हाईकमान के आगे मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की जिद रंग ला रही है। हालांकि, अभी उनकी मीटिंग सोनिया गांधी से नहीं हो पा रही है। </p>
<p>वीरभद्र सिंह ने बुधवार को दिल्ली में अहमद पटेल से मुलाकात की जिसके बाद माना जा रहा है कि परिस्थितियां उनके अनुकूल होने जा रही है। लेकिन, सोनिया गांधी से नहीं मिलने का अड़ंगा बीच में फंसा हुआ है। एक पक्ष यह भी है कि आलाकमान इस बार राज्य में 2012 से अलग परिस्थितियां देख रहा है। ऐसे में वह भी वीरभद्र सिंह की जिद पर सोच-विचार कर रहा है। मुख्यमंत्री ने अहमद पटेल से पीसीसी चीफ सुखविंदर सिंह सुक्खू को हटाने और विधानसभा चुनाव में फ्रींहैंड की मांग की है। </p>
<p>गौरतलब है कि वीरभद्र सिंह ने 27 विधायकों के समर्थन वाली लिस्ट आलाकमान को भेजी थी, जिसमें उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ने की मांग की गई थी। </p>
<p>हालांकि, इस घटनाक्रम में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू फिलहाल कोई बयान नहीं दे रहे हैं। समाचार फर्स्ट सुक्खू से संपर्क करने की कोशिश में लगा है। जल्द ही हम उनका वर्जन आपसे साझा करेंगे। लेकिन, इस बीच 'समाचार फर्स्ट' को ठाकुर कौल सिंह ने कहा <span style=”color:#c0392b”><em>"मुझे यह फर्क नहीं पड़ता कि कौन चुनाव का नेतृत्व करेगा। मैं सिर्फ आलाकमान के आदेश के अनुरूप काम करूंगा। हाईकमान जो आदेश देगा उसे निष्ठा के साथ निभाऊंगा।"</em></span></p>
<p>कौल सिंह ने 2012 का उदाहरण देते हुए कहा कि उस वक़्त भी मैं एक मजबूत दावेदार था, लेकिन आलाकमान ने वीरभद्र सिंह के नेतृत्व पर सहमति दी और मैंने उस पहल का स्वागत भी किया। </p>
<p>वहीं, युवा नेताओं में शुमार विधायक अनिरूद्ध ने भी वीरभद्र सिंह के नेतृत्व को प्रदेश की जरूरत बताया। समाचार फर्स्ट के संवाददाता से बातचीत में अनिरूद्ध ने कहा कि वीरभद्र सिंह 6 बार सीएम चुने गए हैं। उनके अनुभव और लोकप्रियता को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि पार्टी अध्यक्ष कोई भी हो मगर नेतृत्व वीरभद्र सिंह का ही होना चाहिए। </p>
<p>दरअसल, पिछले 24 घंटे के भीरत मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह परिस्थितियों को काफी हद तक बदल दिया है। ख़बर है कि जो विधायक पीसीससी प्रमुख के लिए खड़े थे अब इस सियासी गुबार में अपना पाला बदलते हुए दिखाई दे रहे हैं। मगर, आखिरी फैसला सोनिया गांधी हीं करेंगी और फिलहाल उनसे समय नहीं मिल पाने के भी अलग-अलग मतलब निकाले जा रहे हैं।</p>
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