<p>शिमला ग्रामीण बीजेपी के उम्मीदवार डॉक्टर प्रमोद शर्मा के ऊपर लटक रही तलवार हट गई है। हिमाचल उच्च न्यायालय ने उनके चुनाव लड़ने के खिलाफ दायर याचिका को निरस्त कर दिया है। डॉ प्रमोद शर्मा के चुनाव लड़ने का मामला उच्च न्यायालय में पहुंच गया था।</p>
<p>दरअसल, प्रमोद शर्मा हिमाचल प्रदेश विवि में प्रोफेसर है। प्रोफ़ेसर होने के नाते उन्हें चुनाव लड़ने के लिए विवि से एक तो एनओसी लेना अनिवार्य है दूसरा छुट्टी के लिए आवेदन करना होता है। प्रमोद शर्मा ने एनओसी के लिए तो आवेदन किया है जिसके चलते विवि प्रसाशन ने उन्हें शशर्त एनओसी दे दी है लेकिन छुट्टी नहीं दी थी। इसके बाद ये मामला हाइकोर्ट पहुंच गया था उस पर आज सुनवाई हुई, लेकिन कोर्ट ने इसको निरस्त कर दिया और डॉ प्रमोद के चुनाव लड़ने का रास्ता साफ हो गया।</p>
<p>अब कोर्ट ने ट्रिब्यूनल को सरकार द्वारा बनाए गए कानून पर तीन सप्ताह के भीतर निर्णय लेकर सुलझाने के निर्देश जारी किए है। गौर रहे कि सरकार ने कानून बनाया था कि कोई भी शिक्षक नौकरी पर रहते हुए चुनाव नहीं लड़ सकेगा, लेकिन इस पर ट्रिब्यूनल ने रोक लगा दी।</p>
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