<p>नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि बीजेपी कार्यकाल में स्वास्थ्य विभाग में हुई तमाम खरीदारियों पर राज्य सरकार श्वेत पत्र जारी करे। साथ ही बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष के इस्तीफे और स्वास्थ्य निदेशक की गिरफ्तारी के पूरे प्रकरण की हाईकोर्ट के पीठासीन न्यायाधीश से जांच करवाएं। या फिर हाईकोर्ट की निगरानी में पूरे मामले की तह तक जाकर बाकी गुनहगारों को सामने लाने के लिए कदम उठाएं। उन्होंने कहा कि इस समय संसार सदी के सबसे बड़े संकट से गुजर रहा है । वैश्विक महामारी ने चारों तरफ त्राहि-त्राहि मचा रखी है। इस त्राहि के संवेदनशील दौर में स्वास्थ्य विभाग में हुआ खरीद घोटाला जाहिर तौर पर देशद्रोह की परिभाषा में आता है। इसलिए इस मामले में सरकार को सरकारी तंत्र में विश्वास कायम करने के लिए व्यापक कदम उठाने चाहिए।</p>
<p>उन्होंने कहा कि जब से भाजपा की सरकार प्रदेश में सत्तासीन हुई है, तभी से स्वास्थ्य विभाग कटघरे में है। पूर्व में भी भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के माध्यम से विभाग में भ्रष्टाचार का मामला उजागर हुआ था। लेकिन उसके बाद लगातार ऐसे घटनाक्रम हो रहे हैं जिससे स्वास्थ्य विभाग में हो रही खरीदारी तकरीबन हर जुबान पर है। ऐसी भी धारणा है कि खरीद के दलाल लगातार सत्ता के गलियारों में पकड़ बनाए हुए हैं। इसलिए बेहतर होगा कि लॉकडाउन लगने के उपरान्त अब तक जितनी भी खरीद बिना टैंडर प्रकिया अपनाए की गई है। उन्हें भी सार्वजनिक किया जाए और यह भी बताया जाए कि खरीद के लिए कितने टैंडर किए गए और उनमें कितने रिजैक्ट हुए। उन्हें अंतिम रूप देने की बजाय सीधी खरीद का रास्ता अपनाने के पीछे किसका हित साधने की कोशिश हुई?</p>
<p>उन्होंने दलील दी कि कुछ समय पहले ही प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री को बदला गया था, उसके बाद स्वास्थ्य विभाग मुख्यमंत्री के अधीन कार्य कर रहा है। इसलिए सरकार को सारे मामले से पर्दा उठाना चाहिए। भाजपा अध्यक्ष का इस्तीफा प्रदेश की राजनीति में कोई छोटी घटना नहीं है, इसकी तारें स्वास्थ्य घोटाले के साथ जुड़ी हुई हैं। इसलिए शुरूआत से अब तक हुए घटनाक्रम जिसमें, पत्र बम से लेकर अब तक, तमाम घटनाक्रमों को जांच के दायरे में लाना चाहिए।</p>
<p>मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि कांग्रेस ने विधानसभा के भीतर भी स्वास्थ्य खरीद और सीएमओ के माध्यम से सवा सौ करोड़ रुपये के खरीद के मामले को प्रमुखता से उठाया था और उसके बाद लगातार स्वास्थ्य विभाग के घोटालों से प्रदेश में तांडव मचा हुआ है। सरकार के नाक तले प्रदेश सचिवालय में सैनिटाइजर खरीद के मसले में घपलेबाजी हुई जिस पर सरकार द्वारा जांच के निर्देश भी दिए गये हैं। पीपीई किट्स की खरीद को लेकर भी संशय बरकरार है।</p>
<p>हाल ही में सरकार ने इंदिरा गांधी मैडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को भी एकाएक हटाने के मामले में स्थिति साफ नहीं की है और यह धारणा है कि इसकी पृष्ठभूमि में भी कोई बड़ी खरीद तो नहीं है? जबकि इससे पहले आयुर्वेद विभाग में भी खरीद में गड़बड़ियां सामने आई थी। कोरोना की लड़ाई में सब लोगों ने दिल खोलकर दान दिया है और इसी दौरान इन असंवेदनशील, अमानवीय कृत्यों को अंजाम दिया जा रहा है। इसलिए इस मामले में पूरी खरीद सवालों के घेरे में हैं और सरकार को श्वेत पत्र जारी करना चाहिए और जांच के तत्काल आदेश देने चाहिए। क्योंकि यह दौर वैश्विक महामारी का दौर है, यदि सरकार ने इस पर तुरंत कोई कार्रवाई नहीं की तो प्रदेश में बड़े आंदोलन की बुनियाद रखी जाएगी।</p>
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