किसानों की आय को दोगुनी करने के लिए प्राकृतिक खेती को दिया जा रहा बढ़ावा: CM

<p>मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने आज कृषि विभाग की प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना की राज्य परियोजना क्रियान्वयन इकाई द्वारा रिलायलाइजेशन ऑफ मिशन नैचुरल फार्मिंग अमंग स्मॉलहोल्डर्ज विषय पर आयोजित राष्ट्रीय वैबिनार को सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि 2022 के अन्त तक किसानों की आय को दोगुना किया जा सके।</p>

<p>जय राम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना का क्रियान्वयन कर रही है। इससे न केवल फसलों की पैदावार बढ़ेगी बल्कि किसानों की लागत में भी कमी आएगी। किसानों की लागत को कम करने में सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती पद्धति उभर कर सामने आई है। इस पद्धति के माध्यम से स्थानीय स्तर पर उपलब्ध पदार्थों का उपयोग करके पैदावार उपज और कृषि स्वास्थ्य को बढ़ावा दिया जाता है।</p>

<p>प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदमों की नीति आयोग ने सराहना की है। 2018 में राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत किए गए पहले बजट में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए 25 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा गया था। यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के सपने को साकार करने में सहायक सिद्ध होगा।</p>

<p>जय राम ठाकुर ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश के सभी 9.61 लाख किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रेरित करने का प्रयास कर रही है ताकि हिमाचल देश का प्राकृतिक कृषि प्रदेश बन सके। 1.28 लाख किसान पहले से ही प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं और वे अन्य लोगों को भी इसे अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। सन्तोष का विषय यह है कि हिमाचल प्रदेश देश के बड़े राज्यों में इस क्षेत्र में आदर्श राज्य बनकर उभरा है। प्रदेश में कृषि योग्य भूमि सीमित है और अधिकतर किसान लघु और सीमान्त श्रेणी में आते हैं। प्राकृतिक खेती से न केवल अच्छी पैदावार मिलती है बल्कि किसानों को भी अच्छे दाम मिलते है।</p>

<p>जय राम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश को देश में सेब राज्य के रूप में भी जाना जाता है, परन्तु सेब उत्पादकों द्वारा रासायनिक उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग चिन्ता का विषय है। सौभाग्यवश अधिक से अधिक सेब उत्पादक अब प्राकृतिक खेती को अपना रहे हैं, जिससे उन्हें अपने उत्पादों के अच्छे दाम मिल रहे हैं। सरकार प्राकृतिक उत्पादों के प्रमाणीकरण करने के लिए एक तंत्र विकसित करने का भी प्रयास कर रही है ताकि वे अपने उत्पादों का अच्छा मूल्य प्राप्त कर सके।</p>

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