अपने क्षेत्र में हारे में शांडिल, वीरभद्र भी नहीं दिला पाए लीड

<p>लोकसभा चुनाव-2019 में हिमाचल से कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया है। जहां बीजेपी ने चारों सीटों पर कब्ज़ा किया, वहीं कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाली शिमला लोकसभा सीट पर बीजेपी के प्रत्याशी सुरेश कश्यप ने कांग्रेस के दिग्गज नेता और प्रत्याशी कर्नल धनीराम शांडिल को करारी हार का स्वाद चखाया।</p>

<p>बीजेपी के प्रत्याशी सुरेश कश्यप ने सिरमौर, शिमला के लगभग सभी विधानसभा के साथ-साथ सोलन जिला के विधानसभा क्षेत्रों से भी लीड ली है। वहीं, कांग्रेस के प्रत्याशी कर्नल धनीराम शांडिल अपने विधानसभा क्षेत्र सोलन और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के विधानसभा क्षेत्र अर्की से बड़ी लीड लेने में नाकाम रहे। एकसाथ मिलकर भी वीरभद्र, राहुल गांधी, आनंद शर्मा, प्रतिभा पाटिल, भूपेन्द्र सिंह हुड्डा जैसे कद्दावर नेता भी कांग्रेस प्रत्याशी जीत नहीं दिला पाए। इस बार भी मोदी और की सुनामी में कांग्रेस के नेता डूबते नजर आए।</p>

<p>पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के विधानसभा क्षेत्र अर्की से धनीराम शांडिल को 16999 मत मिले तो वहीं भाजपा प्रत्याशी सुरेश कश्यप को 46553 मतों के साथ भारी लीड प्राप्त हुई। अपने ही गढ़ में बीजेपी प्रत्याशी से भरी मतों से पिछड़ते नज़र आए क्योंकि सुरेश कश्यप ने यहां भी 37051 मतों के साथ भारी लीड ली। वहीं, सोलन जिला के अन्य क्षेत्रों से भी भाजपा को लीड मिलती रही और कांग्रेस के उम्मीदवार पूरी तरह से पिछड़ते नजर आए।</p>

<p>गौरतलब है कि पहाड़ों की रानी के नाम से मशहूर शिमला लोकसभा सीट साल 1967 से ही यह सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है और इसे कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। अब तक हुए 12 आम चुनावों में से 8 बार कांग्रेस के प्रत्याशियों ने इस सीट पर जीत दर्ज की है। 2009 में पहली बार इस सीट पर बीजेपी का खाता खुला था और वीरेंद्र कश्यप जीते थे। 2014 में भी वीरेंद्र कश्यप ने जीत दर्ज की, वहीं 2019 में बीजेपी द्वारा प्रत्याशी बदले जाने पर सुरेश कश्यप ने एक बार फिर से यहाँ सीट भाजपा की झोली में डाल दी|</p>

<p><span style=”color:#e74c3c”><strong>कब-कब कौन कौन जीता…</strong></span></p>

<p>1967 और 1971 में इस सीट से कांग्रेस के प्रताप सिंह जीते<br />
1977 में यह सीट भारतीय लोकदल के खाते में चली गई और उसके टिकट पर बालक राम जीते<br />
1980 में कांग्रेस ने फिर वापसी की और उसके टिकट पर 1980, 1984, 1989, 1991, 1996 और 1998 का चुनाव लगातार छह बार कृष्ण दत्त सुल्तानपुरी जीते<br />
1999 का चुनाव धनी राम शांडिल, हिमाचल विकास कांग्रेस के टिकट पर जीतने कामयाब हुए<br />
2004 का चुनाव धनी राम शांडिल ने कांग्रेस के टिकट पर लड़ा और जीते<br />
2009 इस सीट पर पहली बार कमल खिला और बीजेपी के टिकट पर वीरेंद्र कश्यप जीतने में कामयाब हुए<br />
2014 का भी चुनाव वीरेंद्र कश्यप जीते<br />
वहीं अब 2019 में भाजपा के सुरेश कश्यप ने इस सीट पर जीत दर्ज की है</p>

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