18 दिसंबर को हिमाचल प्रदेश और गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित हो जाएंगे। लेकिन, इससे पहले 'समाचार फर्स्ट'' ने हिमाचल प्रदेश के संदर्भ में अपना एग्जिट पोल सार्वजनिक कर रहा है। समाचार फर्स्ट के साइंटिफिक पोल के नतीजे बेहद ही दिलचस्प है। मसलन, कुछ फैक्टर ऐसे हैं जिनके मद्देनज़र स्थिति कुछ भी हो सकती है।
प्रदेश की 68 सीटों से प्राप्त एग्जिट पोल के नतीजों में बीजेपी और कांग्रेस एक दो पायदान के आंकड़े पर अटकी हुई हैं। इस बीच एक वोट बैंक ऐसा है जिसका मिजाज चुनावी नतीजों को तय करेगा।
पार्टी | सीटें | अंतर |
24 | 4 (+ &-) | |
28 | 4 (+ &-) | |
Unpredictable | 16 |
कांग्रेस की स्थिति
ऊपर के टेबल में कांग्रेस 24 सीटें हासिल करती दिखाई दे रही है। लेकिन, इसके साथ ही 4 सीटें ऐसी हैं जो प्लस और माइनस दोनों श्रेणी में टिकी हुई है। इसका मतलब है कि कांग्रेस 4 सीटों का लाभ भी हो सकता है और हानि भी। अगर लाभ हुआ तो कांग्रेस 28 सीटों पर आ सकती है और यदि हानि हुआ तो कांग्रेस को 20 सीटों से संतोष करना पड़ेगा।
बीजेपी की स्थिति
एग्जिट पोल में बीजेपी 28 सीटें मिलती हुई दिखाई दे रही हैं। लेकिन, यहां बीजेपी को भी 4 सीटों का लाभ या हानि हो सकता है। टेबल के मुताबिक, अगर बीजेपी को 4 सीटें अधिक मिलती हैं, तो उसके सीटों की संख्या 32 हो जाएगी। लेकिन, अगर हानि होती है तो वह 24 पर आकर सीमिट जाएगी। हालांकि, बीजेपी भी मूल तौर पर बहुमत के आंकड़े से दूर है।
16 सीटों के आंकड़े हैं महत्वपूर्ण
कुल मिलाकर 16 सीटों के आंकड़े काफी अहम हैं। इन सीटों पर महिलाओं के बढ़े हुए वोट प्रतिशत और नए वोटरों का ज्यादा असर है। दरअसल, पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार महिलाओं ने 10 फीसदी से अधिक वोट डाले हैं। विश्लेषकों के मुताबिक इन बढ़े हुए वोट प्रतिशत का कारण है कि 16 सीटों पर भविष्यवाणी तय नहीं हो पा रही है।
हो सकता है ये सीटें बीजेपी के पास भी जा सकती हैं और कांग्रेस के पास भी। ऐसी स्थिति में दोनों दलों के दावे पुख्ता साबित नहीं होते दिखाई दे रहेहैं।
किसको मिला होगा महिलाओं का 10 प्रतिशत अधिक वोट ?
अगर महिलाओं ने कांग्रेस को वोट दिया होगा तो इसमें महंगाई, गैस सिलेंडर की कीमतों में इजाफा और जीएसटी बड़ा कारण हो सकता है। जबकि, अगर बीजेपी के खाते में जाता है तो गुड़िया रेप-मर्डर केस, होशियार सिंह मर्डर केस के साथ प्रदेश की कानून-व्यवस्था अहम रोल अदा करेंगी।
दरअसल, समाचार फर्स्ट को चुनाव के बाद मिले सर्वे में महिलाओं ने इन दोनों पहलुओं पर चर्चा की। एक तरफ महंगाई महिलाओं का विशेष मुद्दा था, तो दूसरी तरफ प्रदेश की बिगड़ती कानून व्यवस्था पर भी उन्होंने अपनी चिंता जाहिर की।