हिमाचल उपचुनाव में मिली हार के बाद भाजपा संगठन और सरकार में बड़े फेरबदल कयासें लग रही हैं। वैसे तो फेरबदल को लेकर कई गुटों और चेहरों की ओर इशारा किया जा रहा है. लेकिन, मीडिया का एक धड़ा हिमाचल में बीजेपी की कमान को धूमल कैंप के खाते में जाने की अटकलें लगा रहा है. हालांकि, समाचार फर्स्ट इन अटकलों की पुष्टि नहीं करता है. लेकिन अगर मीडिया का एक धड़ा इन ख़बरों को उठा रहा है तो ये सवाल जरूर बन जाते हैं कि क्या 2022 के चुनाव से पहले अब धूमल गुट का खेमा फिर से बीजेपी की झंडाबरदार होगी?
मीडिया रिपोर्ट में इसके कई कारण भी बताए गए हैं। जिसमें सबसे पहला ये है कि भाजपा के कुछ अपने ही लोग मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को कुशल नहीं मानते। दूसरी ओर जनता के लिहाज से भी मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर पर फ्री हैंडेड और अपने स्तर पर फैसले लेने या काम न करने की बात भी कही जाती है। प्रदेश की जनता और भाजपा के समर्थक यहां तक कहने लगे हैं कि मुख्यमंत्री पर केंद्र की सरकार की दख़लअंदाजी ज्यादा हावी है।
और तो और ये बात हाईकमान तक भी पहुंच चुकी है जिसके चलते प्रदेश में बदलाव की अटकलें तेज होने लगी हैं। इसी के मद्देनज़र 2022 में हिमाचल के चुनाव फतह करने के लिए भाजपा कोई रणनीति बना सकती है। हाल ही में हुई भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भी पूर्व मुख्यमंत्री धूमल भी पहुंचे थे। बेशक़ हिमाचल का नंबर नहीं आ पाया लेकिन भाजपा 22 तारिख से पहले हार पर मंथन करने वाली है जिसमें कई तरह के नए फैसले लिए जा सकते हैं।
धूमल खेमा में इन चेहरों पर खेल सकता है दांव
मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि अग़र 2022 से पहले सच में अगर भाजपा प्लानिंग के साथ उतरती है और धूमल धड़े को साथ लेकर चलती है तो सरकार में मौजूद मंत्री वीरेंद्र कंवर प्रमुख चेहरा हो सकते हैं। हालांकि नाम सुरेश भारद्वाज का भी चल रहा था… लेकिन जुब्बल कोटखाई में मिली हार के बाद उनकी हर ओर फजीहत हो रही है। संगठन तौर पर धूमल धड़े में प्रमुख चेहरे राजीव बिंदल और सतपाल सिंह सत्ती जैसे नेता हो सकते हैं। धूमल को संगठन की जिम्मेदारी देकर भी कोई प्लान तैयार किया जा सकता है। हालांकि संगठन तौर पर अभी भी टीम सही काम कर रही है लेकिन सरकार चलाने में संगठन की दखलअंदाजी शायद किसी से छिपी नहीं है जिसके चलते बदलाव की अटकलें भी तेज हो रही हैं।
BJP हाईकमान बदलता रहा है प्रदेश का नेतृत्व
हिमाचल में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें इसलिए भी लग रही हैं, क्योंकि बीजेपी हाईकमान का इतिहास कुछ ऐसा ही रहा है. बात गुजरात की हो या फिर उत्तराखंड की. बीजेपी ने चुनाव से ऐन पहले यहां पर मुख्यमंत्री का चेहरा और संगठन में बड़ा फेरबदल किया है. उत्तराखंड में तो छोटे अंतराल में ही दो मुख्यमंत्री बदल दिए गए. वहीं, चर्चा ये भी थी कि उत्तर प्रदेश में भी बीजेपी हाईकमान नेतृत्व परिवर्तन का मन बना रहा था. लेकिन, वहां पर योगी आदित्यनाथ जैसे हार्डकोर हिंदुत्व का चेहरा होने के चलते फैसला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया.
ऐसे में बीजेपी के भीतर जारी प्रचलन को लेकर ही अटकलों का बाजार काफी ज्यादा गर्म है. लेकिन, इस गर्म महौल में खिंचड़ी किसकी पकेगी इस पर चौतरफा नैरेटिव देखने को मिल रहा है.
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