दिवाली पूजन शुभ मुहूर्त में करना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है. कहते हैं जो व्यक्ति दिवाली वाले दिन विधि विधान महालक्ष्मी की पूजा करता है उसके जीवन में धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती, लेकिन कोई भी पूजा पाठ अगर शुभ मुहूर्त में किया जाए तो उससे मिलने वाला फल दोगुना हो जाता है. दिवाली पूजन का कौन सा मुहूर्त रहेगा सबसे शुभ और क्या है लक्ष्मी पूजा की विधि आपको बता रहे हैं.
दिवाली का पर्व कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है. अमावस्या तिथि की शुरुआत 4 नवंबर को सुबह 06:03 बजे से हो रही है और इसकी समाप्ति 5 नवंबर को 02:44 पर होगी. लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06:09 बजे से शुरू होकर रात 08:04 बजे तक रहेगा. यानी इस मुहूर्त की कुल अवधि 01 घण्टा 56 मिनट की है.
दीपावली पर दीपक पूजन करने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. इस दिन लक्ष्मी पूजा से पहले कलश, भगवान गणेश, विष्णु, इंद्र, कुबेर और देवी सरस्वती की पूजा की परंपरा है. ज्योतिषियों का कहना है कि इस बार दिवाली पर तुला राशि में चार ग्रहों के आ जाने से चतुर्ग्रही योग बन रहा है। इस दिन की गई पूजा का शुभ फल जल्दी ही मिलेगा.
पूजा सामग्री
लकड़ी की चौकी, देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्तियां/चित्र, चौकी को ढकने के लिए लाल या पीला कपड़ा, कुमकुम, हल्दी, चंदन, रोली, अक्षत, साबुत नारियल अपनी भूसी के साथ, पान और सुपारी, अगरबत्ती, दीपक के लिए घी, पीतल का दीपक या मिट्टी का दीपक, कपास की बत्ती, पंचामृत, गंगाजल, कलश, पुष्प, फल, आम के पत्ते, जल, कपूर, कलाव, साबुत गेहूं के दाने, दूर्वा घास, धूप, जनेऊ, दक्षिणा (नोट और सिक्के), एक छोटी झाड़ू, आरती थाली.
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