शरद पूर्णिमा पर खीर खाने का है विशेष महत्व, आज के दिन चन्द्रमा होता है बहुत बलशाली

<p>शरद पूर्णिमा पर खीर खाने की प्रथा है। इसके पीछे ऐसी मान्यता है कि इस रात चंद्रमा की अद्भुत रोशनी से जो ऊर्जा निकलती है जोकि अमृत समान होती है। इस रात चंद्रमा की रोशनी में रखी गई खीर का विशेष महत्व माना गया है। इसे कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।</p>

<p>अश्विन मास की शरद पूर्णिमा इस बार 13 अक्टूबर, रविवार को है। इस बार यह अमृतयोग और सर्वार्थ सिद्धि योग में आ रही है। रविवार को पूर्णिमा का आरंभ रात 12 बजकर 36 मिनट से है।</p>

<p><span style=”color:#c0392b”><strong>शरद पूर्णिमा की तिथि और शुभ मुहूर्त</strong></span></p>

<p><br />
शरद पूर्णिमा तिथि: रविवार, 13 अक्&zwj;टूबर 2019<br />
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 13 अक्&zwj;टूबर 2019 की रात 12 बजकर 36 मिनट से<br />
पूर्णिमा तिथि समाप्&zwj;त: 14 अक्&zwj;टूबर की रात 02 बजकर 38 मिनट तक</p>

<p>साल में एक बार आने वाली शरद पूर्णिमा पर खीर खाने को फलदायी माना जाता है। इसके पीछे वैज्ञानिक और पौराणिक दोनों मान्यताएं हैं।</p>

<p><span style=”color:#c0392b”><strong>क्या कहता है धर्म?</strong></span></p>

<p>मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा के प्रकाश में अमृत समान गुण होते हैं, इसलिए इस रात खीर बनाकर चंद्रमा के शीतल प्रकाश में रखकर खाने का रिवाज है। लेकिन इससे पूर्व इस खीर को भगवान शिव को अवश्य अर्पित करना चाहिए। इस प्रसाद वाले खीर को छत पर चंद्रमा के प्रकाश में रखें और फिर इसे परिवार के सभी सदस्यों को ग्रहण करना चाहिए। ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है। व्यापार, करियर में बढ़ोतरी होती है साथ उस परिवार के लोगों को कभी आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ता।</p>

<p><span style=”color:#c0392b”><strong>क्या हैं विज्ञान के तर्क</strong></span></p>

<p>वहीं अगर इस अवसर पर खीर खाने के वैज्ञानिक कारणों से देखें तो पाएंगे कि दूध में लैक्टिक अम्ल और अमृत तत्व होता है जो कि चांद की किरणों से अधिक मात्रा में शक्ति का शोषण करता है। चावल में स्टार्च होने के कारण यह प्रक्रिया और आसान हो जाती है। इसी कारण ऋषि-मुनियों ने शरद पूर्णिमा की रात्रि में खीर खुले आसमान में रखने का विधान किया है। यह परंपरा विज्ञान पर आधारित है। शोध के अनुसार खीर को चांदी के पात्र में बनाना चाहिए क्योंकि चांदी में प्रतिरोधकता अधिक होती है। यही कारण है कि इस दिन चांदी के पात्र में खुले आसमान के नीचे खीर बनाने और इसे ग्रहण करने की मान्यता है।</p>

<p>&nbsp;</p>

Samachar First

Recent Posts

जीपीएस की गलती बनी जानलेवा: कार नदी में गिरी, तीन की मौत

Bareilly GPS Navigation Acciden: बरेली में  एक दर्दनाक सड़क हादसे में तीन लोगों की मौत…

7 hours ago

एनसीसी स्थापना दिवस पर मंडी में रक्तदान शिविर, 50 कैडेटों ने दिखाया उत्साह

NCC Raising Day Blood Donation Camp: एनसीसी एयर विंग और आर्मी विंग ने रविवार को…

7 hours ago

यहां पढ़ने वाले पिछले 65 साल में हर क्षेत्र में अपनी अमिट छाप छोड़ रहे:धर्माणी

Sundernagar Polytechnic Alumni Meet: मंडी जिले के सुंदरनगर स्थित राजकीय बहुतकनीकी संस्थान में रविवार को…

8 hours ago

हिमाचल में सहकारिता क्षेत्र में महिलाओं के आरक्षण पर विचार कर रही सरकार: मुकेश अग्निहोत्री

Himachal Cooperative Sector Development: मंडी जिले के तरोट गांव में आयोजित हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी…

8 hours ago

जीवन में अनुशासन और समय का सदुपयोग जरूरी: पंकज शर्मा

NSS Camp Day 6 Highlights.: धर्मशाला के राजकीय छात्र वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला में चल रहे…

9 hours ago

राधास्वामी सत्संग अस्पताल की भूमि के लिए ऑर्डिनेंस लाएगी सुक्खू सरकार

Bhota Hospital Land Transfer: हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार राधास्वामी सत्संग व्यास अस्पताल भोटा की…

11 hours ago