14 जुलाई से सावन महीने की शुरूआत हो गई है. सावन का ये महीना 12 अगस्त तक रहेगा. इस बार सावन महीने में 4 सोमवार आ रहे हैं. सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा तीन रूपों में होती है. पहला शिवलिंग रूप, दूसरा शंकर रूप, तीसरा रुद्र रूप. शिव भगवान की पूजा खासकर सोमवार, चतुर्दशी और शिवरात्रि पर होती है. सावन महीना भगवान शिव को अर्पित किया जाता है और भगवान शंकर की विधि-विधान से पूरे महीने पूजा- अर्चना होती हैं.
कल 18 जुलाई को सावन महीने का पहला सोमवार है. पहले सोमवार को भगवान शिव की पूजा करने का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की सच्चे मन से पूजा करने से हर मुराद पूरी होती है. भक्त साल भर सावन सोमवार का इंतजार करते हैं. इस सोमवार की अलग ही महिमा होती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार सावन के सोमवार में भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करने से सारे दुख दर्द दूर हो जाते हैं और मनचाहा फल मिलता है.ऐसे में इस साल सावन के पहले सोमवार भगवान शिव की पूजा कैसे करें, इसके बारे में जानते हैं.
सावन महीने में तीन प्रकार के व्रत रखे जाते हैं
सावन सोमवार व्रत
सोलह सोमवार व्रत
प्रदोष व्रत
सावन महीने में सोमवार को जो व्रत रखा जाता है उसे सावन का सोमवार व्रत कहते हैं. और प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है. शस्त्रों के अनुसार प्रदोष व्रत साल में कई एक बार और महीने में दो बार आता है. वहीं सावन के पहले सोमवार से 16 सोमवार तक जो व्रत रखें जाते है. उन्हें सोलह सोमवार का व्रत कहते है. खासकर कुंवारी कन्या योग्य वर पाने के लिए भगवान शिव का विधि अनुसार व्रत रखती है.
सावन में ऐसे करें भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा
सुबह जल्दी उठ जाए और स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहन लें. फिर घर के मंदिर में दीप जलाकर सभी देवी-देवताओं पर गंगाजल का अभिषेक करें. भगवान शिव को पुष्प, बेलपत्र, दूध, दही, कच्चे चावल, धतूरा, मोगरा,भांग शिवलिंग पर अर्पित करें. पूजा के बाद सावन के सोमवार की व्रत कथा पढ़ने और सुनने से विशेष लाभ मिलता है. इस दिन शिव पूजन और आरती करने के बाद भगवान शिव को भोग लगाएं. और घर में प्रसाद बांटने के बाद स्वंय ग्रहण करें.
इन मंत्रों का करें जाप
ऊं नमः शिवाय, ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। ऊर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्, ऊॅं हराय नमः, ऊॅं श्रीकंठाय नमः, ऊॅं वामदेवाय नम, ऊॅं त्रिनेत्राय नमः, ऊॅं ईशानाय नमः, ऊॅं प्रधानाय नम:, ऊॅं व्योमात्मने नम:, ऊॅं युक्तकेशात्मरूपाय नम: