मनाली में ऐसा मंदिर जिसको बनाने के बाद कारीगरों के काट दिए गए हाथ

<p>मनाली,हडिंबा माता का मंदिर विश्व प्रसिद्ध है। यह मंदिर एक गुफा में बना हुआ है । देवी हिडम्&zwj;बा, हिडम्&zwj;ब की बहन थी।यह मंदिर हिमालय की तलहटी पर स्थित है जिसके चारों तरफ हरियाली है और सिडार के घने जंगल हैं। इस मंदिर का निर्माण 1553 ई. पत्&zwj;थर को काटकर किया गया था। पत्&zwj;थर को इस प्रकार काटा गया कि उसका आकर गुफानुमा हो गया। इस पत्&zwj;थर के अंदर जाकर श्रद्धालु दर्शन कर सकते है और विशेष पूजा का आयोजन कर सकते हैं। कहा जाता है कि राजा ने इस मंदिर को बनवाने के बाद मंदिर बनाने वाले कारीगरों के&nbsp; सीधे हाथों को काट दिया ताकि वह कहीं और ऐसा मंदिर न बना सकें।</p>

<p>मान्यता है कि महाभारत काल में जब वनवास काल में जब पांडवों का घर (लाक्षागृह) जला दिया गया तो विदुर के परामर्श पर वे वहां से भागकर एक दूसरे वन में गए, जहाँ हिडिंब राक्षस अपनी बहन हिंडिबा के साथ रहता था। एक दिन हिडिंब ने अपनी बहन हिंडिबा से वन में भोजन की तलाश करने के लिये भेजा परन्तु वहां हिंडिबा ने पाँचों पाण्डवों सहित उनकी माता कुन्ति को देखा। इस राक्षसी का भीम को देखते ही उससे प्रेम हो गया इस कारण इसने उन सबको नहीं मारा जो हिडिंब को बहुत बुरा लगा।</p>

<p>फिर क्रोधित होकर हिडिंब ने पाण्डवों पर हमला किया, इस युद्ध में भीम ने इसे मार डाला और फिर वहाँ जंगल में कुंती की आज्ञा से हिंडिबा एवं भीम दोनों का विवाह हुआ। एक वर्ष व्यतीत होने पर हिडिम्बा का पुत्र उत्पन्न हुआ। उत्पन्न होते समय उसके सिर पर केश (उत्कच) न होने के कारण उसका नाम घटोत्कच रखा गया। वह अत्यन्त मायावी निकला और जन्म लेते ही बड़ा हो गया।</p>

<p>हिडिम्बा ने अपने पुत्र को पाण्डवों के पास ले जा कर कहा, &quot;यह आपके भाई की सन्तान है अतः यह आप लोगों की सेवा में रहेगा।&quot; इतना कह कर हिडिम्बा वहाँ से चली गई। घटोत्कच श्रद्धा से पाण्डवों तथा माता कुन्ती के चरणों में प्रणाम कर के बोला, &quot;अब मुझे मेरे योग्य सेवा बतायें।? उसकी बात सुन कर कुन्ती बोली, &quot;तू मेरे वंश का सबसे बड़ा पौत्र है।</p>

<p>समय आने पर तुम्हारी सेवा अवश्य ली जायेगी।&quot; इस पर घटोत्कच ने कहा, &quot;आप लोग जब भी मुझे स्मरण करेंगे, मैं आप लोगों की सेवा में उपस्थित हो जाउँगा।&quot; इतना कह कर घटोत्कच वर्तमान उत्तराखंड की ओर चला गया।उसके बाद कुरुक्षेत्र के महाभारत युद्ध मे कृष्ण भगवान कर कहने पर घटोत्कच को युद्ध मे बुलाया गया और कौरव सेना पर वह कहर बनकर टूट लेकिन कर्ण के बाण से&nbsp; मारा गया।</p>

<p>हडिंबा माता मंदिर में&nbsp; होने वाली विशेष पूजा को घोर पूजा के नाम से जाना जाता है। यह पूजा मंदिर में ही आयोजित की जाती है। हर साल 14 मई को मंदिर में देवी जी का जन्&zwj;मदिन मनाया जाता है जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन करने आते है। इस मंदिर की महिमा दूर दूर तक फैली है। यहाँ मायावी शक्तियों के लिए अनुष्ठान किए जाते है।</p>

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