कालाष्टमी का दिन भगवान शिव के स्वरूप काल भैरव की पूजा की जाती है. हिंदू पंचांग के मुताबिक, हर माह के कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का पर्व मानाया जाता है. इस दिन काल भैरव के साथ भगवान शिव की भी पूजा की जाती है.
कालभैरव भगवान शिव के रौद्र रूप कहलाते हैं. इसके अलावा, देश के कई हिस्सों में इस दिन मां दुर्गा की पूजा का भी विधान भी है. इस बार कालाष्टमी 16 दिसंबर 2022 के दिन मनाई जाएगी. कालाष्टमी को काल भैरव जयंती या सिर्फ भैरव जयंती के नाम से भी जाना जाता है.
हिंदू पंचांग के मुताबिक, पौष माह की कालाष्टमी कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाएगी. कालाष्टमी की शुरूआत 16 दिसंबर 2022 को सुबह 01 बजकर 39 मिनट पर होगी और इसका समापन 17 दिसंबर को सुबह 03 बजकर 02 मिनट पर होगा. उदयातिथि के मुताबिक कालाष्टमी 16 दिसंबर को ही मनाई जाएगी.
इस दिन सबसे पहले सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें. साफ कपड़े धारण करें. उसके बाद भैरव देव की पूजा करें. कालाष्टमी के दिन भैरव देव के साथ काले कुत्ते की भी पूजा का विधान बताया गया है.
पूजा के बाद काल भैरव की कथा सुनने से भी लाभ प्राप्त होता है. इस दिन खासतौर से काल भैरव के मंत्र “ऊं काल भैरवाय नमः” का जाप करना फलदायी माना जाता है. इस दिन गरीबों को अन्न और वस्त्र दान करने से पुण्य मिलता है. इसके अलावा कालाष्टमी के दिन मंदिर में जाकर कालभैरव का सामने तेल का एक दीपक जरूर जलाएं.
कालाष्टमी के दिन भूलकर ना करें ऐसे काम- काल भैरव जयंती या कालाष्टमी के दिन जितना हो सके, झूठ बोलने से बचें. इस दिन झूछ बोलने से भारी नुकसान हो सकता है. काल भैरव की पूजा कभी भी किसी नुकसान के मकसद से ना करें. अपने माता-पिता और गुरूओं को अपमानित ना करें.
काल भैरव की पूजा कभी भी अकेले नहीं करनी चाहिए. इस दिन पूजा में शिव भगवान और पार्वती माता को अवश्य शामिल करें. गृहस्थ लोगों को भगवान भैरव के तामसिक पूजा नहीं करनी चाहिए. कुत्तों को मारे नहीं बल्कि जितना हो सके, उन्हें भोजन कराए.
काल-भैरव भगवान शिव का ही एक रूप हैं. ऐसे में कहा जाता है. कि जो कोई भी इस दिन सच्ची भक्ति से कालभैरव की पूजा करता है. भगवान शिव उसे सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते है.