यूरोप में कोरोना का कहर एक बार फिर बढ़ रहा है. चौंकाने वाली बात तो यह है कि सबसे कम टीकाकरण वाले देशों में ही नहीं, बल्कि उन मुल्कों में भी नए मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है, जहां बड़ी आबादी को दोनों खुराक हासिल हो चुकी है. विशेषज्ञ कोविड प्रोटोकॉल की अनदेखी और वैक्सीन से विकसित प्रतिरोधक क्षमता में आई कमी को इसकी मुख्य वजह मान रहे हैं.
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के प्रोफेसर फ्रांकोइस बैलुक्स ने कहा, यूरोप महामारी को लेकर बेहद संवेदनशील दौर से गुजर रहा है. ब्रिटेन और रूस जैसे देशों में बीते एक हफ्ते से रोजाना औसतन 30 से 40 हजार मामले सामने आ रहे हैं. वहीं, जर्मनी में तो बीते गुरुवार 50 हजार से ज्यादा नए मामले दर्ज किए गए, जबकि सप्ताह के शुरुआती दो दिनों में यह आंकड़ा 30 हजार से काफी नीचे था.
खास बात यह है कि ब्रिटेन और जर्मनी में दो-तिहाई से ज्यादा बाशिंदों को कोविड टीके की दोनों खुराक हासिल हो चुकी है, जबकि रूस में पूर्ण टीकाकरण वाली आबादी का आंकड़ा 35 फीसदी के करीब है. ऐसे में मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग की अनदेखी के अलावा टीके से विकसित प्रतिरोधक क्षमता का कमजोर पड़ना नए मामलों में वृद्धि की मुख्य वजह हो सकता है.
रीडिंग यूनिवर्सिटी की डॉ. सिमोन क्लार्क सर्दियों की दस्तक को भी इसके लिए जिम्मेदार मानती हैं. उनके मुताबिक सर्दियों में लोग घरों से बाहर कम निकलते हैं. बंद जगहों में मिलना-जुलना भी बढ़ जाता है. इससे वायरस के प्रसार का जोखिम बढ़ना लाजिमी है, फिर चाहे व्यक्ति को टीके की दोनों खुराक ही क्यों न हासिल हो चुकी हो.
क्लार्क ने याद दिलाया कि कोरोना टीके वायरस से पूर्ण सुरक्षा की गारंटी नहीं देते. इनका मुख्य काम संक्रमण को गंभीर रूप धारण करने से रोकना और मौत की आशंका में कमी लाना है. ऐसे में कम टीकाकरण वाले देशों को सर्दियों में महामारी की ज्यादा चुनौती झेलनी पड़ सकती है.
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