देवभूमि हिमाचल के जिला हमीरपुर के ऐतिहासिक सुजानपुर दुर्ग एवं सुप्रसिद्ध मंदिर श्री बाबा बालक नाथ के परिसर की मिट्टी की खुशबू की महक से दिल्ली में बनने वाला नया संसद महकेगा. इसके लिए यहां के दो महत्वपूर्ण स्थानों ने मिट्टी एकत्रित कर भाषा एवं संस्कृति विभाग हमीरपुर द्वारा शिमला स्थित निदेशालय भेज दी गई है. जिसे अब संसद भवन के निर्माण के उपयोग में लाया जाएगा.
जिला भाषा अधिकारी निक्कू राम ने बताया कि देश के बन रहे नए संसद भवन में जिला हमीरपुर के दो ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक स्थलों की मिट्टी का उपयोग भी किया जाएगा. जिला हमीरपुर के ऐतिहासिक सुजानपुर दुर्ग एवं सुप्रसिद्ध मंदिर श्री बाबा बालक नाथ के परिसर की मिट्टी इन स्थलों के ऐतिहासिक विवरण के साथ भाषा एवं संस्कृति विभाग हमीरपुर द्वारा शिमला स्थित निदेशालय भेज दी गई है, जहां से सम्पूर्ण राज्य के विभिन्न ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक स्थलों की मिट्टी एक साथ केंद्र को भेजी जाएगी.
उन्होंने बताया कि नए संसद भवन के निर्माण में सम्पूर्ण भारत के ऐतिहासिक एवं सासंकृतिक स्थलों से मिट्टी का उपयोग किया जा रहा है ताकि भारत के इस संसद भवन में प्रत्येक क्षेत्र का योगदान रहे. यह अभियान भारत की एकता और अखंडता को अक्षुण बनाए रखने के उद्देश्य से चलाया जा रहा है जिसके अंतर्गत सम्पूर्ण देश से मिट्टी को एकत्रित किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि जिला हमीरपुर के ऐतिहासिक सुजानपुर दुर्ग से आधा किलो मिट्टी भेजी गई है.
उन्होंने बताया कि सन् 1748 ई. में कटोच वंशीय त्रिगर्त नरेश श्री अभय चंद ( 1747 – 1750 )ने सुजानपुर की पहाडिय़ों में दुर्ग तथा महल बनवाए. प्रारम्भिक काल में इस स्थान का नाम अभयगढ़ था कालान्तर में इस स्थान का नाम टीहरा पड़ा. इसके बाद आगे चलकर कटोच वंश के 479वें राजा घमंड चन्द (1751-1774) हुए। इस प्रतापी राजा ने त्रिगर्त राज्य की सीमाओं के विस्तार हेतु हमीरपुर के समीप सुजानपुर टीहरा में एक विशाल सामरिक दृष्टि से सुरक्षित किले तथा सुजानपुर नगर की आधारशीला रखी. तत्पश्चात राजा घमंड चंद के प्रपौत्र महाराजा संसार चंद (1775-1823) ने मैदानी भाग में मंदिरों का तथा पहाड़ी भाग में दुर्ग का निर्माण कर इस स्थान का नाम सुजानपुर टीहरा रखा. महाराजा संसार चंद ने इस स्थान को त्रिगर्त राज्य की राजधानी बनाया.
इसके अतिरिक्त जिला के सुप्रसिद्ध मन्दिर श्री बाबा बालक नाथ के परिसर से भी आधा किलो मिट्टी भेजी गई है. उत्तर भारत का प्रसिद्ध सिद्धपीठ बाबा बालकनाथ की कर्मस्थली शाहतलाई है जहां बाबा ने घोर साधना कर लोक मानस में चमत्कारों से आस्था की जोत जगा दी थी. नैसर्गिक साधना की सशक्त स्थली गुफा मंदिर बाबा बालक नाथ का मूल मंदिर है. यह मंदिर आधुनिक ढंग के निर्माण शिल्प के साथ शिखरनुमा शैली में बना है. इसका सुनहरी मुखद्वार भी नागर शैली के अनुरूप ही बना है. इस गुफा मंदिर में बाबा बालक नाथ की श्यामवर्णी संगमरमर की मूर्ति स्थापित है.