शिमला: नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि रोहड़ू के टिक्कर में दो मासूमों को पीटने का मामला मानवता को शर्मसार करने वाला है। यह हमारे देव भूमि की परंपरा नहीं है। इस तरह की घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मामले से यह स्पष्ट है कि इस प्रदेश में क़ानून व्यवस्था का जनाज़ा उठ गया है।
इस तरह की पाशविक घटना होने के बाद भी पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई, जबकि जहां यह घटना हुई उससे महज़ चंद कदमों की दूरी पर पुलिस चौकी है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा यह सब बहुत देर तक चलता रहा फिर भी चौकी पर तैनात पुलिस कर्मियों द्वारा इस घटना को न तो रोकने का प्रयास किया गया और न ही बाद में आरोपितों पर कोई कार्रवाई की गई।
यह घटना 31जुलाई को होती हैं और मामले में एफ़आईआर 04 अगस्त को दर्ज हो रही है, वह भी जब इस घटना जा वीडियो वायरल हो गया। यदि वीडियो न बना होता या वायरल नहीं होता तो क्या होता? पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रहती। क्या अब न्याय के लिए हर घटना का वीडियो वायरल होना आवश्यक हो गया है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इसी प्रकार ऊना में एक छात्र को बाल काटने के लिए प्रिंसिपल द्वारा डांटा गया तो छात्र द्वारा पिता से शिकायत की गई। इसी बात से नाराज़ छात्र के पिता ने प्रिंसिपल को थप्पड़ मार दिया। इस मामले में भी पुलिस ने कोई मामला दर्ज नहीं किया है।
लोगों द्वारा बताया जा रहा है कि प्रिंसिपल को मारने वाला ऊना के एक बहुत प्रभावशाली नेता का नज़दीकी है। इसी कारण उसके ख़िलाफ़ मामला दर्ज नहीं किया जा रहा है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इस मामले में पुलिस राजनीतिक दबाव को दरकिनार कर आरोपित पर कार्रवाई करे।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि हैरत तो इस बात पर हो रही है कि जब इस तरह की घटना के बाद पीड़ित बच्चे अपने परिजनों के साथ पुलिस के पास पहुंचे तो उनकी बातें तक नहीं सुनी गई, न पीड़ितों के शिकायत की जाँच हुई। पीड़ितों को थानें से भगा दिया गया।
यह दुर्भाग्यपूर्ण है। क्या इसी व्वयस्था परिवर्तन का वादा सरकार ने प्रदेश की जनता से किया था, जहां दबंग किसी बच्चे के साथ इस तरह की अमानवीयता करेंगे और पीड़ितों को पुलिस थाने से भगा देगी। यह बहुत शर्मनाक कृत्य है। पुलिस ने जानबूझकर मामले को दबाने का काम किया है। सरकार को इस बात का जवाब देना चाहिए की ऐसा कैसे हुआ। मामले को दबाने की कोशिश करने वाले लोगों पर सरकार की तरफ़ से क्या कार्रवाई की गई है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इस तरह की घटनाओं से हमारे प्रदेश की छवि पर क्या असर पड़ेगा, सरकार को इस बात पर भी ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस घटना को करने वाले और पूरे मामले को दबाने की कोशिश करने वाले लोगों पर सख़्त से सख़्त कार्रवाई होनी चाहिये। किसी भी अपराध के लिए पुलिस हैं, न्यायालय हैं। हम इस तरह लोगों द्वारा सड़कों पर न्याय किए जाने के पक्षधर नहीं हैं। यह बहुत ग़लत परंपरा है। इसलिए मुख्यमंत्री इस मामले में दखल दें और मामले को दबाने वाले लोगों पर भी कार्रवाई करें।