योजना अनुमतियों का होगा सरलीकरण: मुख्यमंत्री
भवनों की जल निकासी की जांच तथा संरचनात्मक डिजाइन के बारे में विभाग को प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश
प्रदेश में नियोजित एवं विनियमित विकास के दृष्टिगत राज्य सरकार मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के सशक्त नेतृत्व में ठोस कदम उठा रही है। इसके लिए हिमाचल प्रदेश नगर एवं ग्राम नियोजन के अंतर्गत नियमों में आवश्यक बदलाव किए गए हैं। साथ ही नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग को सुदृढ़ करने के दृष्टिगत इसमें आधुनिक प्रौद्योगिकी का समावेश किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना है कि प्रदेश के योजना क्षेत्रों के विनियमित विकास तथा लोगों को विभिन्न सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए वर्तमान प्रदेश सरकार प्रतिबद्ध है। व्यवस्था परिवर्तन के ध्येय के साथ कार्य करते हुए सरकार ने इस दिशा में कई महत्त्वपूर्ण निर्णय लिए हैं।
नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग के वेब पोर्टल को ऑटो डीसीआर (विकास नियंत्रण विनियम) क्षमता के साथ विकसित किया जा रहा है। इससे योजना अनुमति के लिए प्रस्तुत नक्शों की कम्प्यूटरीकृत स्कैनिंग हो सकेगी।
ऑटो डीसीआर एकमुश्त रिपोर्ट भी तैयार करेगा। आवेदक से संबंधित कमियों को जान सकंेगे और इनमें सुधार भी कर सकेंगे। इस वेब पोर्टल को ऑटो डीसीआर क्षमता के साथ विकसित करने का कार्य शीघ्र ही पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित गया है। इसमें पंजीकृत निजी पेशेवरों के लिए मानक संचालन प्रक्रिया, 500 वर्गमीटर तक के भू-खण्डों पर आवासीय उपयोग के लिए विकास अनुमति देने का कार्य भी शामिल है।
सभी क्षेत्रीय कार्यालयों में आवेदकों के आवागमन को सीमित करने के दृष्टिगत पंजीकृत निजी पेशेवरों के लिए अधिसूचित मानक संचालन प्रक्रिया जल्द ही विभाग के ऑनलाइन पोर्टल में शामिल करने के पश्चात शुरू कर दी जाएगी। यह केवल 500 वर्गमीटर के भू-खण्डों के आवासीय उपयोग के लिए सभी अधिसूचित योजना व विशेष क्षेत्रों तथा शहरी स्थानीय निकायों में विकास की अनुमति के लिए मान्य होंगी।
प्रदेश में फोरलेन के आसपास नियोजित एवं विनियमित विकास के दृष्टिगत फोरलेन योजना क्षेत्र का गठन भी किया गया है। फोरलेन योजना क्षेत्र में परवाणू-शिमला राष्ट्रीय राजमार्ग, किरतपुर-मनाली, शिमला-मटौर तथा पठानकोट-मण्डी राजमार्ग शामिल हैं। इसके अतिरिक्त अटल सुरंग के उत्तरी पोर्टल में हिमाचल प्रदेश नगर एवं ग्राम नियोजन अधिनियम-1977 के प्रावधान लागू किए गए हैं। इससे सुरंग के संचालन के कारण संभावित अनाधिकृत और अनियोजित विकास गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सकेगा।
प्रदेश सरकार ने शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को राहत पहुंचाने के दृष्टिगत एटिक के आवासीय उपयोग का भी प्रावधान किया है। इस संशोधन से भवनों के भीतर उपलब्ध स्थान में प्रभावी रूप से बढ़ोतरी होगी। साथ ही अतिरिक्त मंजिलें बनाने में लोगों को बड़े पैमाने पर लाभ भी मिल सकेगा।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के निर्देशों पर भविष्य में भवनों की जल निकासी प्रणाली की जांच तथा इमारतों के संरचनात्मक डिजाइन के बारे में विभाग एक प्रस्ताव तैयार कर रहा है। इससे बरसात के दौरान राज्य में भारी बारिश के कारण सार्वजनिक और निजी सम्पत्ति को होने वाले नुकसान को नियंत्रित एवं सीमित करने में सहायता मिल सकेगी।