अहमदाबाद के नरोदा पाटिया केस में गुजरात हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। इस केस में दोषी बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजंरगी की उम्र कैद की सजा बरकार रखी गई है। बजरंगी को पूरी उम्र जेल में रहना होगा। 16 साल पहुले हुए इस नरसंहार के मामले में 97 लोगों की मौत हुई थी।
साल 2002 के नरोदा पाटिया नरसंहार मामले में गुजरात हाई कोर्ट ने पूर्व मंत्री माया कोडनानी को बरी कर दिया है। बताया जा रहा है कि कोडनानी को संदेह का लाभ की वजह से निर्दोष करार दिया गया। इसके अलावा कोर्ट ने मुरली नारायणभाई, किरण कोररी, सुरेश लंगाडो को दोषी करार दिया गया है।
इससे पहले जस्टिस हर्षा देवानी और न्यायमूर्ति ए एस सुपेहिया की पीठ ने मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद पिछले साल अगस्त में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। इस केस में स्पेशल कोर्ट ने बीजेपी नेता माया कोडनानी और बाबू बजरंगी समेत 32 को दोषी ठहराया था। इन्हीं की अर्जी पर आज गुजरात हाईकोर्ट फैसला सुनाने वाला है।
28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद के नरोदा पाटिया इलाके में एक बड़ा नरसंहार हुआ था। 27 फरवरी 2002 को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस की बोगियां जलाने की घटना के बाद अगले दिन जब गुजरात में दंगे भड़के तो नरोदा पाटिया सबसे सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ था। यहां हुए दंगे में 97 लोगों की हत्या कर दी गई थी, जबकि 33 लोग जख्मी भी हुए थे।
इनको हो चुकी है सजा
इस मामले में माया कोडनानी को 28 साल के कारावास की सजा सुनाई गई थी। बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजरंगी को मृत्यु पर्यंत आजीवन कारावास और सात अन्य को 21 साल के आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। एक अन्य को 14 साल के साधारण आजीवन कारावास की सजा हुई थी। निचली अदालत ने सबूतों के अभाव में 29 अन्य आरोपियों को बरी कर दिया था। जहां दोषियों ने निचली अदालत के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी, वहीं विशेष जांच दल ने 29 लोगों को बरी किये जाने के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।