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शनिवार व्रत पूजा विधि: जानें शुभ मुहूर्त और नियम

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December 21 Panchang details: शनिवार का व्रत हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और फलदायी माना जाता है। शनिदेव, जिन्हें न्याय के देवता कहा जाता है, उनके व्रत से जीवन में सभी प्रकार के कष्ट समाप्त हो जाते हैं। ज्योतिषाचार्य अनिल शास्त्री के अनुसार, शनिदेव के व्रत से साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव कम होता है और जीवन में शांति और सफलता का संचार होता है।
यह व्रत विशेष रूप से 7 शनिवार तक किया जाए तो अधिक लाभकारी माना गया है। इसे किसी भी श्रावण मास या शुक्ल पक्ष के शनिवार से आरंभ कर सकते हैं। यह व्रत अनुशासन और परिश्रम को बढ़ाता है।

पूजा विधि:
व्रत के दिन प्रातः स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें और व्रत का संकल्प लें। शनिदेव की प्रतिमा या शनि यंत्र स्थापित करें। पंचामृत से स्नान कराकर काले वस्त्र, काले तिल, और सरसों का तेल अर्पित करें। सरसों के तेल का दीपक जलाएं और शनि चालीसा तथा शनि व्रत कथा का पाठ करें। पूड़ी और काले उड़द की खिचड़ी का भोग लगाएं। अंत में गलती के लिए क्षमा मांगें।

पंचांग सारणी (21 दिसंबर 2024):

  • राष्ट्रीय मिति: मार्गशीर्ष 30, शक संवत 1946
  • विक्रम संवत: 2081
  • सौर मास: पौष मास, प्रविष्टे 07
  • तिथि: षष्ठी (मध्याह्न 12:22 तक), उपरांत सप्तमी
  • नक्षत्र: पूर्वाफाल्गुनी (अगले दिन सुबह 06:14 तक), उपरांत उत्तराफाल्गुनी
  • योग: प्रीति (सायं 06:23 तक), उपरांत आयुष्मान
  • करण: वणिज (मध्याह्न 12:22 तक), उपरांत बव
  • सूर्य स्थिति: उत्तरायण, उत्तर गोल, शिशिर ऋतु
  • चंद्र राशि: सिंह
  • राहुकाल: प्रातः 09:00 से 10:30
  • विजय मुहूर्त: दोपहर 02:10 से 02:51
  • निशिथ काल: रात 11:58 से 12:53
  • गोधूलि बेला: सायं 05:36 से 06:03
  • अमृत काल: प्रातः 08:26 से 09:44