जस्टिस रंजन गोगोई ने देश के नए मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण की। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। वे देश के 46वें सीजेआई बने। गंभीर, अनुशासनप्रिय, मितभाषी और हर चीज को व्यवस्थित रखना जस्टिस गोगोई की खासियत है। इस व्यवहार के कारण जस्टिस गोगोई से देश और न्यायपालिका को काफी उम्मीदें हैं। अदालतों में करोड़ों मुकदमों का ढेर और न्यायाधीशों के खाली पड़े पद- ये दोनों समस्याएं जस्टिस गोगोई के लिए एक बड़ी चुनौती होंगी।
हालांकि उन्होंने पद संभालने से पहले ही एक बयान में इस ओर चिंता जताते हुए मुकदमों का बोझ खत्म करने के लिए कारगर योजना लागू किये जाने का संकेत दिया था, जो कि न्यायपालिका के उज्ज्वल और सकारात्मक भविष्य की ओर इशारा करता है।
जस्टिस गोगोई बुधवार को जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ के साथ मुख्य न्यायाधीश की अदालत में मुकदमों की सुनवाई करने बैठेंगे। पहले दिन भले ही उनकी अदालत में सुनवाई के लिए कम मुकदमें लगे हों, लेकिन देश भर की अदालतों में लंबित 2.77 करोड़ मुकदमें नये मुखिया की नयी योजना का इंतजार कर रहे होंगे। इन मुकदमों में 13.97 लाख मुकदमें वरिष्ठ नागरिकों के हैं और 28.48 लाख मुकदमें महिलाओं ने दाखिल कर रखे हैं। इतना ही नहीं उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट मे लंबित 54000 मुकदमें भी अपने मुखिया की नयी कार्यप्रणाली और शीघ्र मुक्ति का इंतजार कर रहे हैं।