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31 अक्तूबर को “स्टैच्यू ऑफ यूनिटी” का पीएम मोदी करेंगे उद्घाटन

समाचार फर्स्ट डेस्क |

3000 करोड़ की लागत, 3 साल 8 महीनों में 4076 मजदूरों की मेहनत के बाद दुनिया की सबसे ऊंची सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा यानी "स्टैच्यू ऑफ यूनिटी" बन गई है। दुनिया के अजूबों में शामिल होने वाली इस  182 मीटर ऊंची प्रतिमा का पीएम मोदी 31 अक्टूबर को उद्घाटन करने जा रहे हैं। इस प्रतिमा से जुड़ी कुछ बातें आज हम आपको बताने जा रहा हैं।

बता दें कि सरदार सरोवर नर्मदा बांध, हाइवे और हजारों किलो मीटर नर्मदा नहर बनाने वाले राठौड़ की देखरेख में 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी'' एक रिकार्ड समय 3 साल 8 महीने यानि करीब 44 महीनों में बनकर तैयार हो गई। जबकि अमरीका की ''स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी'' के निर्माण में 5 साल का वक्त लगा था।
 

मूर्ती बनाने में क्या और कितना हुआ खर्च

सरदार वल्लभ भाई पटेल की इस मूर्ति में 4 धातुओं का उपयोग किया गया है जिसमें बरसों तक जंग नहीं लगेगी। इस मूर्ती में 85 फीसदी तांबे के इस्तेमाल के साथ 2 हजार मैट्रिक टन ब्रॉन्ज लगाया गया है। इसके अलावा 5700 मैट्रिक टन स्ट्रक्चरल स्टील और 18500 मैट्रिक टन रिइनफोर्समेंट बार्स भी इस्तेमाल किया गया है। यह मूर्ति 22500 मिलियन टन सीमेंट से बनी है। इस प्रतिमा को बनाने में 800 स्थानीय और 200 चीन से आए कारीगरों ने काम किया है।

बता दें कि मूर्ति के निर्माण के लिए केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद अक्टूबर 2014 में लार्सेन एंड टर्बो कंपनी को ठेका दिया गया था। इस काम को तय समय में अंजाम तक पहुंचाने के लिए 4076 मजदूरों ने दो शिफ्टों में काम किया। इस खर्च में 2332 करोड़ रुपये प्रतिमा के निर्माण के लिए और 600 करोड़ रुपये 15 साल तक इसके रखरखाव के लिए हैं।
 
इसकी नींव 2013 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी थी। इस मूर्ति से आप सरदार बांध का सुंदर नजारा देख सकेंगे। इसके निर्माण के लिए प्रधानमंत्री ने देश के कोने कोने से लोहा मांगा था।