राफेल डील को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से आज अहम फैसला आ सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने अदालत की निगरानी में इस डील को लेकर जांच किए जाने की मांग वाली याचिकाओं पर 14 दिसंबर के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया था। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की बेंच ने इन याचिकाओं पर 14 नवंबर को सुनवाई की थी और फैसला रिजर्व रख लिया था।
एडवोकेट एम.एल. शर्मा ने इस डील की अदालत की निगरानी में जांच की मांग करते हुए याचिका दायर की थी। इसके बाद एक अन्य वकील विनीत ढांडा ने ऐसी मांग करते हुए अर्जी डाली थी। यही नहीं आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने भी इस डील के खिलाफ याचिका दाखिल की थी।
याचिकाकर्ताओं ने सौदे में अनियमितता का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट से सीबीआइ को जांच के लिए एफआइआर दर्ज करने के निर्देश देने की अपील की है। सरकार ने भारतीय वायु सेना की मारक क्षमता बढ़ाने के लिए करीब 58,000 करोड़ रुपये में 36 राफेल लड़ाकू विमानों के लिए फ्रांस के साथ समझौता किया है। दो इंजिन वाले इस लड़ाकू विमान का निर्माण फ्रांस की सरकारी कंपनी दसाल्ट एविशन करती है।
केंद्र सरकार ने राफेल सौदे का बचाव करते हुए उसकी कीमत को सार्वजनिक करने की मांग का पुरजोर विरोध किया था। केंद्र सरकार की तरफ से अदालत में पेश अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा था कि 2016 के एक्सचेंज रेट के मुताबिक खाली राफेल जेट की कीमत 670 करोड़ रुपये है। लेकिन पूरी तरह से हथियारों से लैस राफेल विमान की कीमत को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता, क्योंकि इससे देश के दुश्मन फायदा उठा सकते हैं। सर्वोच्च अदालत ने अपने फैसले को सुरक्षित रखते हुए कहा था कि राफेल लड़ाकू विमानों की कीमत पर तभी चर्चा की जा सकती है, जब वह तय कर लेगी कि उसे सार्वजनिक किया जाएगा या नहीं।