भारतीय क्रिकेटर महेन्द्र सिंह धोनी ने अपने 5,500 वर्ग-फुट पेंटहाउस का मालिकाना हक प्राप्त करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। धोनी ने विवादों में घिरे आम्रपाली ग्रुप की एक परियोजना के अंतर्गत 10 साल पहले यह पेंटहाउस बुक किया था। धोनी ने शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त फोरेंसिक ऑडिटर की ओर से नोटिस मिलने के बाद अपने वकील द्वारा आवेदन दायर किया है। नोटिस में खरीद के कुछ पहलुओं पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।
वकील शेखर कुमार द्वारा दायर आवेदन में धोनी ने कहा, ‘‘यह आवेदन आवेदक (धोनी) द्वारा अपने अधिकारों की रक्षा, मालिकाना हक और पेंटहाउस अपार्टमेंट का कब्जा पाने के लिए दायर किया गया है, जो आम्रपाली सफायर-1 में स्थित है… और जिसे 31 अगस्त, 2009 को एक समझौते के तहत उन्हें बेचे जाने पर सहमति हई थी। ’’ शीर्ष अदालत 30 अप्रैल को आम्रपाली मामले पर सुनवाई करेगी।
धोनी ने कहा कि शीर्ष अदालत ने पिछले साल 2 दिसंबर को फोरेंसिक ऑडिटर्स को निर्देश दिया था कि वे घर खरीदारों को अलग-अलग नोटिस जारी करें, जिन्होंने फ्लैट की कुल राशि पर फ्लैट बुक किए थे। पूर्व भारतीय कप्तान ने कहा कि उनके अधिकृत प्रतिनिधि ने फॉरेंसिक ऑडिटर्स द्वारा भेजे गए नोटिस का विस्तृत जवाब दे दिया है।
धोनी ने कहा कि उन्होंने सम्पत्ति के लिए 20 लाख रुपए अदा किए हैं लेकिन अभी तक पेंटहाउस का केवल कुछ ही काम पूरा हुआ है और उन्हें उसका कब्जा भी नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि सम्मानजनक तौर पर यहां हलफनामे में बताया गया कि आवेदन द्वारा भगुतान की राशि मामूली नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि धोनी के आम्रपाली ग्रुप के ब्रैंड एंबेस्डर होने के कारण उन्हें पेंटहाउस कम दाम में दिया गया था। उन्होंने कहा कि यह वास्तविक समझौते पर सवाल खड़े करने का कोई आधार नहीं हो सकता। हलफनामे पर सम्पत्ति की बाजार में क्या कीमत है इसका जिक्र नहीं किया गया, जो अनुमानित तौर पर एक करोड़ रुपए से अधिक है।