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केंद्र सरकार ने CAMPA के तहत हिमाचल को जारी किए 1660 करोड़ रुपये

पी. चंद |

वन मंत्री गोविन्द सिंह ठाकुर ने कहा कि भारत सरकार ने कैम्पा (Compensatory Afforestation Management & Planning Authority) के तहत राज्य के लिए 1660 करोड़ रुपये की लम्बित धनराशि जारी कर दी है। इस राशि को प्रदेश में विभिन्न वानिकी गतिविधियों में व्यय किया जाएगा।

उन्होंने इस धनराशि को जारी करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय वन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह राशि प्रदेश में हरित आवरण में वृद्धि और लोगों को रोजगार के व्यापक अवसर उपलब्ध करवाने में लाभकारी सिद्ध होगी।

इससे पूर्व, आज नई दिल्ली में केन्द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावेड़कर की अध्यक्षता में आयोजित वन मंत्रियों के सम्मेलन में गोविन्द सिंह ठाकुर ने कैम्पा और वन विभाग से सम्बन्धित प्रदेश के विभिन्न महत्वपूर्ण मामलों को उठाया।

उन्होंने हिमाचल प्रदेश को फॉरेस्ट क्लीयरेंस एक्ट, 1980 के तहत विकास परियोजनाओं को त्वरित स्वीकृतियां प्रदान करने के उद्देश्य से हिमाचल प्रदेश को क्षेत्रीय वन कार्यालय देहरादून के बजाय केन्द्रीय वानिकी एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय चंडीगढ़ के अंतर्गत लाने का आग्रह किया।

वन मंत्री ने विकास की गति को बढ़ावा देने के लिए एफसीए, 1980 के अंतर्गत प्रदेश सरकार को एक हेक्टेयर के स्थान पर पांच हेक्टेयर सीमा तक विकास परियोजनाओं के लिए वन मंजूरी देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को इको-टूरिज्म कि क्रियान्वयन के लिए इसे वानिकी गतिविधियां मानकर मापदंड निर्धारित करने चाहिए।

उन्होंने सम्मेलन के दौरान कैम्पा से संबंधित विभिन्न मुद्दों को भी उठाया और सीएएफ अधिनियम- 2016 और सीएएफ नियम-2018 के तहत परिकल्पित राष्ट्रीय प्राधिकरण से निधि के हस्तांतरण की मांग की।

गोविंद सिंह ठाकुर ने राज्य कैम्पा निधि के तहत पैसा खर्च करने के लिए लेखांकन प्रक्रिया के सरलीकरण और ट्रेजरी मोड के स्थान पर पुरानी प्रणाली बहाल करने का आग्रह किया। उन्होंने वन अपराधों और आग की घटनाओं को रोकने के लिए फील्ड अधिकारियों को किराए पर वाहन इस्तेमाल करने प्रावधान करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि नियमों में बुनियादी ढांचे के विकास के तहत फ्रंट लाइन कर्मचारियों के कार्यालय/आवासीय भवनों के रख-रखाव के लिए भी प्रावधान किया जाना चाहिए।