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धर्मपुर में दिशा वर्कर के इंटरव्यू लेन वाली गैर सरकारी संस्था पर ठगी के आरोप

संजय गुलेरिया, धर्मपुर |

धर्मपुर पंचायत समिति हाल में 6 जनवरी को एक गैर सरकारी संस्था द्वारा पंचायतों में दिशा वर्कर नियुक्त करने के लिए साक्षत्कार आयोजित किये। ज़िला परिषद सदस्य भूपेंद्र सिंह ने इस संस्था के द्धारा पंचायतों में नियुक्त किए जाने वाले दिशा वर्करों को गुमराह करने वाली गतिविधि बताया है जो नौकरी के नाम पर महिलाओं के साथ धोखधड़ी है। क्योंकि इस संस्था ने गत वर्ष ज़िला कांगड़ा में स्वरोजगार देने के नाम पर सैकड़ों महिलाओं को प्रलोभन देकर उनसे बीस बीस हजार रुपये इक्कठे किये थे। लेकिन बाद में रोज़गार ना मिलने के चलते इस संस्था के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज कराई गई थी औऱ मुक़दमा अभी भी चल रहा है।

इस बारे हिमाचल सरकार के पंचायती राज विभाग ने दिनांक 27 सिंतबर 2019 को एक विशेष सूचना निकालकर इस संस्था की मान्यता बारे सपष्ट किया था और उसे सभी पंचायतों व खण्ड विकास अधिकारियों को भेजा था। जिसमें इस संस्था को पंचायतों में किसी भी प्रकार के दिशा वर्करों को नियुक्त करने के काम को ग़लत व अयोग्य बताया था। औऱ इन दिशा वर्करों का हिमाचल सरकार और विभाग से कोई नाता न होने की बात की थी और इसकी जानकारी आमजनता तक पहुंचाने के निर्देश दिये थे। लेक़िन अब वही संस्था ज़िला मंडी के धर्मपुर खण्ड में महिलाओं को ठगने और ग़ुमराह करने का काम कर रही है। जिसकी ज़िला पार्षद भूपेंद्र सिंह ने कड़ी निंदा की है और गैरकानुनी तौर पर बिना सरकारी अनुमति के काम कर रही। इस गैर सरकारी संस्था की ग़ुमराह करने वाली गतिविधियों पर रोक लगाने की मांग की है।

गौरतलब है कि इस संस्था के खिलाफ ज़िला कांगड़ा में रानीताल में हेराफेरी करने का मामला दर्ज है। लेक़िन धर्मपुर में इस संस्था को बीडीओ ऑफ़िस में ही इंटरव्यू के लिए स्थान दिया गया है। जबकि पंचायतीराज राज विभाग से इस संस्था को किसी प्रकार की मान्यता न होने के पत्र भी बीडीओ को ही लिखे गए हैं। ये गंभीर विषय है  की उसी ऑफ़िस में ये संस्था इंटरव्यू कैसे ले रही है इसकी जांच होनी चाहिए।

इस संस्था पर स्वरोजागर के नाम पर ब्लॉक और पंचयात स्तर पर रोज़गार देने के बदले महिलाओं से पैसे ऐंठने के आरोप पूर्व में लग चुके हैं और पुलिस में केस दर्ज है। क्योंकि उक्त संस्था द्वारा ज़िला कांगड़ा में नियुक्त महिलाओं में अभी तक कोई वेतनमान तक नहीं दिया है जिसमे काफी रोष है। इसलिए आमजन को इस तरह से बिना जांच पड़ताल किये इस तरह की संस्थाओं पर भरोसा नहीं करना चाहिए औऱ प्रशासन को भी इसकी सूचना सार्वजनिक तौर पर जनता को देनी चाहिए ताकि महिलाओं को इसकि पूरी जानकारी प्राप्त हो सके।