हिमाचल प्रदेश के 5 जिलों में जायका प्रोजेक्ट जापान से कृषि की नई टेक्नोलॉजी को प्रदेश के किसानों तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण काम कर रहा है। अब सरकार ने इसे प्रदेश के सभी 12 जिलों में पहुंचाने का बीड़ा उठाया है जोकि अप्रैल 2020 से लागू हो जाएगा। लेकिन इस समय प्रोजेक्ट में 115 अधिकारी और कर्मचारी काम कर रहे हैं । लेकिन हैरानी इस बात की है कि इन 115 में से 15 से 20 अधिकारी सेवानिवृत्त होने के बाद भी लगातार जायका प्रोजेक्ट में अपनी सेवाएं दे रहे हैं । जबकि सरकार का कहना है कि वह नए लोगों को रोजगार देने के लिए प्रयासरत है। ऐसे में जायका प्रोजेक्ट के तहत रोजगार देने का जो सरकार का दावा है वह कहीं न कहीं खोखला दिखाई दे रहा है ।
वहीं, इस बारे में कृषि मंत्री रामलाल मार्कंडेय का कहना है कि सरकार अप्रैल 2020 से जायका प्रोजेक्ट को पूरे प्रदेश में लागू करने जा रही है। और इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत जो भी पुराने रिटायर्ड अधिकारी हैं उनको बदलकर नए लोगों को मौका दिया जाएगा । वहीं, सूत्रों से मिली खबर के अनुसार यह सभी सेवानिवृत्त अधिकारी जो जायका प्रोजेक्ट में अपनी सेवाएं दे रहे हैं अच्छी खासी पहुंच अपनी राजनीतिक रूप से भी रखते हैं जिसके चलते उन्हें इसमें लगाया गया है। इन्हें इस प्रोजेक्ट के तहत भारी-भरकम वेतन भी हर महीने सरकार की तरफ से दिया जा रहा है।
हालांकि अगर सरकार यहां पर नए लोगों को मौका देती और नए लोग ही विदेशों में टेक्नोलॉजी को देखने के लिए जाते तो शायद इसका लाभ सरकार को लंबे समय तक मिल सकता था। लेकिन जैसे कि कुछ लोग इन दिनों विदेश दौरे पर निकले हुए हैं लेकिन अगर जैसे कि मंत्री का कहना है कि अप्रैल 2020 के बाद नए लोगों को मौका मिलेगा तो ऐसे में यह लोग भार मुक्त हो जाएंगे। इस तरह से जो लाखों करोड़ों रुपए इनके विदेशी दौरे के तहत खर्च किया गया है न तो उस दौरे का किसी तरह का लाभ लोगों को मिल पाएगा न ही सरकार को उनका लंबे समय तक लाभ मिलेगा जोकि अपने आप में इस बात को दर्शाता है कि सरकार के कुछ नियम कितने गंभीर हैं।
वहीं, अंदर खाते इस प्रोजेक्ट के तहत लगे लोगों को लेकर भी विरोध चल रहा है कि कुछ ही लोगों को मौका क्यों? हालांकि नए लोगों को भी इस प्रोजेक्ट के तहत अच्छे अहोदों पर जोड़ा जा सकता था। लेकिन सरकार ने नए लोगों को जोड़ने की बजाए सेवानिवृत्त लोग जोकि पहले से ही भारी-भरकम पेंशन भी ले रहे हैं ऐसे लोगों को जायका के तहत मौका दिया है जोकि रोजगार को लेकर सरकार की दोहरी नीति पर भी सवाल उठा रहा है।