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शिमला में किसानों का आक्रोश, बेदखली के खिलाफ उपायुक्त को सौंपा ज्ञापन

  • किसान सभा और अन्य संगठनों ने शिमला में बेदखली और बाड़बंदी के खिलाफ प्रदर्शन किया

  • उपायुक्त के माध्यम से सरकार को मांग पत्र सौंपा गया

  • वन अधिकार अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन और कब्जे की जमीन के नियमितीकरण की मांग


Shimla Farmers Protest: हिमाचल किसान सभा, शिमला नागरिक सभा और अन्य वामपंथी संगठनों ने सोमवार को शिमला जिलाधीश कार्यालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने उच्च न्यायालय के आदेश पर हो रही जमीन से बेदखली और मकानों की बाड़बंदी का तीखा विरोध किया। इस दौरान उन्होंने उपायुक्त के माध्यम से सरकार को मांग पत्र भी भेजा।

हिमाचल किसान सभा के अध्यक्ष कुलदीप तंवर ने कहा कि गरीब परिवारों और लघु किसानों को जमीन से बेदखल करने पर रोक लगाई जाए। उन्होंने मांग की कि वन संरक्षण अधिनियम 1980 में संशोधन कर राज्य सरकार को वन भूमि के वितरण का अधिकार दिया जाए। किसानों के कब्जे में मौजूद 5 बीघा तक की जमीन को नियमित किया जाना चाहिए और वन अधिकार अधिनियम 2006 को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए।

कुलदीप तंवर ने कहा कि सरकार ने शहरी क्षेत्रों में 2 बिस्वा और ग्रामीण क्षेत्रों में 3 बिस्वा जमीन देने का वादा किया था, लेकिन अभी तक उसे पूरा नहीं किया गया है। उन्होंने बताया कि बजट सत्र के दौरान 20 मार्च को प्रदेशभर से लोग विधानसभा पहुंचे थे और मुख्यमंत्री के समक्ष अपनी बातें रखी थीं। इसके बाद राजस्व मंत्री ने एफआरए कानून 2006 लागू करने की बात कही थी, लेकिन अब तक धरातल पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है। तंवर ने जानकारी दी कि आज पूरे प्रदेश में जिलाधीश और एसडीएम के माध्यम से सरकार को ज्ञापन सौंपा गया है।

कुलदीप तंवर, अध्यक्ष, हिमाचल किसान सभा ने बाइट में कहा कि सरकार को किसानों और गरीब परिवारों के हित में तुरंत कदम उठाने चाहिए ताकि न्याय मिल सके और आजीविका को सुरक्षित किया जा सके।