<p>हिमाचल बर्फानी तेंदुए और इसके शिकार बनने वाले जानवरों का मूल्यांकन करने वाला पहला राज्य बन गया है। राज्य वन विभाग के वन्यप्राणी प्रभाग ने प्रकृति संरक्षण फाउण्डेशन बेंगलुरू के सहयोग से राज्य में बर्फानी तेंदुए की आबादी का आकलन पूरा किया है। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के स्नो लैपर्ड पोपुलेशन असैसमेन्ट इन इण्डिया के प्रोटोकोल के आधार पर बर्फानी तेन्दुए का इस प्रकार का आंकलन करने वाला हिमाचल प्रदेश पहला राज्य बन गया है। बर्फानी तेंदुआ हिमाचल प्रदेश का राज्य पशु है इसलिए प्रदेश के लिए इस आकलन का विशेष महत्व है। उल्लेखनीय है कि हिमाचल में बर्फानी तेन्दुए की अनुमानित आबादी 73 है।</p>
<p>वन मंत्री राकेश पठानिया ने इस प्रयास के लिए वन्यप्राणी प्रभाग की सराहना करते हुए कहा कि लंबी अवधि के ऐसे आकलन ज़मीनी स्तर पर संरक्षण के प्रभाव का पता लगाने में काफी उपयोगी साबित हो सकते हैं और हिमाचल प्रदेश दूसरे राज्यों के लिए एक उदाहरण भी बन सकता है। राज्य में इस प्रकार के अध्ययन के परिणाम वन्य प्राणी प्रभाग द्वारा भविष्य में बर्फानी तेंदुए और उसके जंगली शिकार की आबादी का आकलन करने के लिए एक लंबी अवधि की परियोजना स्थापित करने के लिए एक मज़बूत आधार प्रदान कर सकते हैं।</p>
<p>प्रधान मुख्य अरण्यपाल वन्य प्राणी अर्चना शर्मा ने कहा कि हिम तेंदुए का घनत्व 0.08 से 0.37 प्रति सौ वर्ग किलोमीटर है। स्पीति, पिन घाटी और ऊपरी किन्नौर के हिमालयी क्षेत्रों में बर्फानी तेन्दुए और उसके शिकार जानवरों आइबैक्स और भरल का घनत्व सबसे अधिक पाया गया। पहाड़ी इलाकों में कैमरा ट्रैप की तैनाती किब्बर गांव के आठ स्थानीय युवाओं की एक टीम के नेतृत्व में की गई थी। इस तकनीक के अंतर्गत एचपीएफडी तकनीक के 70 से अधिक फ्रंटलाइन स्टाफ को भी परियोजना के हिस्से के रूप में प्रशिक्षित किया गया।</p>
<p>उन्होंने कहा कि सभी दस स्थलों- भागा, हिम, चंद्र, भरमौर, कुल्लू, मियार, पिन, बसपा, ताबो और हंगलंग में हिम तेंदुए का पता चला। भागा अध्ययन से यह पता भी चला है कि बर्फानी तेंदुए की एक बड़ी संख्या संरक्षित क्षेत्रों के बाहर है जो यह दर्शता है कि स्थानीय समुदाय हिम तेंदुए के परिदृश्य में संरक्षण के लिए सबसे मजबूत सहयोगी हैं। एनसीएफ और वन्य जीव विंग ने इस प्रयास में सहयोग किया और मूल्यांकन को पूरा करने में तीन साल लग गए। </p>
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