शिमला: सीपीएस मामले में हिमाचल सरकार को बड़ा झटका लगा है। सरकार द्वारा नियुक्त किए गए 6 मुख्य संसदीय सचिव मंत्रियों जैसी सुविधाएं नहीं ले पाएगा।बुधवार को हाईकोर्ट में हुई सीपीएस मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने यह अंतरिम आदेश दिए। सीपीएस का काम रोकने को लेकर भाजपा के 11 विधायकों ने हाईकोर्ट में स्टे एप्लिकेशन डाली गई थी, इस पर हाईकोर्ट के जस्टिस संदीप शर्मा और जस्टिस विवेक ठाकुर की बैंच ने आदेश पारित किया है।
भाजपा विधायकों की ओर से हाईकोर्ट में केस की पैरवी कर रहे अधिवक्ता सत्यपाल जैन ने कहा कि अब कोई भी CPS मंत्रियों के काम नहीं कर पाएंगे। कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है। उन्होंने कहा कि सीपीएस मंत्रियों जैसी सभी सुविधाएं ले रहे है लेकिन सरकार की ओर से पक्ष रखा गया कि इन्हें कोई सुविधा दी गई है लेकिन ये सभी सीपीएस मंत्रियों जैसी सुविधा ले रहे है जिस पर कोर्ट ने रोक लगा दी है.
उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164 में किए गए संशोधन के मुताबिक किसी भी प्रदेश में मंत्रियों की संख्या विधायकों की कुल संख्या का 15 फीसदी से अधिक नहीं हो सकती। प्रदेश में अधिकतम 12 मंत्री लगाए जा सकते हैं। याचिकाकर्ताओं के अनुसार, प्रदेश में मंत्री और CPS की संख्या में 15 फीसदी से ज्यादा हो गई है। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट में असम मणिपुर पंजाब और हरियाणा मामले की सुप्रीम कोर्ट की जजमेंट भी रखी गई है अब इस मामले में 12 मार्च को अगली सुनवाई होगी ।
6 सीपीएस किए गए हैं नियुक्त
हिमाचल में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने रोहड़ू से MLA मोहन लाल ब्राक्टा, अर्की से संजय अवस्थी, कुल्लू से सुंदर सिंह ठाकुर, दून से राम कुमार, पालमपुर से आशीष बुटेल और बैजनाथ से किशोरी लाल को CPS बना रखा है।
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