-
हिमाचल में कोविड-19 और इन्फ्लूएंजा के बढ़ते मामलों को देखते हुए अलर्ट जारी
-
अस्पतालों में ऑक्सीजन, दवाएं और बुनियादी ढांचे की व्यवस्था सुदृढ़ करने के निर्देश
-
JN.1 वैरिएंट को लेकर विशेष सतर्कता बरतने की सलाह, बुजुर्गों को विशेष सावधानी जरूरी
देशभर में कोरोना वायरस के नए मामले सामने आने के बाद हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य में अलर्ट जारी कर दिया है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से सभी जिला अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों को सतर्कता बरतने के आदेश दिए गए हैं। विशेष रूप से कोविड-19 और इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियों की रोकथाम और प्रबंधन के लिए तैयार रहने के निर्देश दिए गए हैं।
सभी संस्थानों को बिस्तर, ऑक्सीजन सप्लाई, वेंटिलेटर, बीआईपीएपी मशीन, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, पीएसए संयंत्र, एंटीबायोटिक्स और जरूरी दवाएं सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ ही अस्पतालों के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की आवश्यकता बताई गई है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) की ओर से जारी गाइडलाइन में कहा गया है कि ओपीडी और आईपीडी में आने वाले आईएलआई (Influenza Like Illness) और एसएआरआई (Severe Acute Respiratory Illness) के मामलों की IHIP-IDSP पोर्टल पर नियमित रिपोर्टिंग होनी चाहिए। कोरोना और इन्फ्लूएंजा के पुष्ट मामलों के लिए एल फॉर्म का उपयोग कर रिपोर्ट भेजना अनिवार्य किया गया है।
कोरोना सैंपल्स को INSACOG प्रयोगशालाओं, जैसे एसएलबीएसडीएमसी नेरचौक और एनआईवी पुणे में जीनोम अनुक्रमण (Genome Sequencing) के लिए भेजा जाएगा ताकि नए वेरिएंट्स की पहचान हो सके। यदि कोई केस पॉजिटिव आता है, तो उसकी जानकारी जिला और राज्य स्तर की निगरानी इकाइयों को दी जाएगी।
स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी है। खासतौर पर बुजुर्गों और कमज़ोर प्रतिरोधक क्षमता वालों के लिए कोविड उपयुक्त व्यवहार—जैसे हाथ धोना, मास्क पहनना और भीड़ से बचाव—की पालना आवश्यक बताई गई है।
विशेष रूप से JN.1 वैरिएंट को लेकर सतर्कता बरती जा रही है, जिसमें ऐसे म्यूटेशन देखे गए हैं जो इसे वैक्सीन से बनी प्रतिरक्षा को चकमा देकर संक्रमण फैलाने योग्य बनाते हैं। हालांकि, इसकी गंभीरता अपेक्षाकृत कम है। ओमिक्रॉन और उसके वेरिएंट्स से संक्रमित लोगों में सूखी खांसी, नाक बहना, सिरदर्द, गले में खराश, बुखार, थकान, स्वाद या गंध का न आना और पाचन समस्याएं देखी गई हैं।
सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन और व्यक्तिगत स्तर पर सतर्कता ही आने वाले समय में संक्रमण की संभावित लहर से बचाव का रास्ता हो सकता है।