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हिमाचल सरकार ने टैक्सी परमिट की वैधता 12 से बढ़ाकर 15 वर्ष करने की सिफारिश की

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  • केंद्र सरकार को भेजा गया औपचारिक पत्र, सार्वजनिक हित का हवाला

  • मौजूदा नियमों के अनुसार राज्यों को सीमा तय करने का अधिकार नहीं


शिमला। हिमाचल प्रदेश सरकार ने प्रदेश में कार्यरत टैक्सी ऑपरेटरों और कॉन्ट्रैक्ट कैरिज व्हीकल यूनियनों की वर्षों पुरानी मांग को ध्यान में रखते हुए एक बड़ा कदम उठाया है। प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार से अनुशंसा की है कि टैक्सी परमिट की अधिकतम वैधता अवधि को 12 वर्षों से बढ़ाकर 15 वर्ष किया जाए।

परिवहन विभाग की ओर से भारत सरकार के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को भेजे गए औपचारिक पत्र में यह अनुरोध किया गया है कि जनहित में इस मांग पर सकारात्मक विचार किया जाए। अंडर सेक्रेटरी पुनीत सेठ द्वारा हस्ताक्षरित पत्र में बताया गया है कि राज्य की कई टैक्सी यूनियनों द्वारा लगातार यह मांग की जा रही थी कि वाहन परमिट की वैधता बढ़ाई जाए, ताकि लंबे समय तक वाहन संचालन की अनुमति मिल सके और आर्थिक बोझ भी घटे।

पत्र में यह स्पष्ट किया गया है कि मौजूदा मोटर व्हीकल एक्ट 1988 की धारा 59 तथा सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल्स, 1989 के नियम 82 के अनुसार राज्य परिवहन प्राधिकरण को वाहन की उम्र निर्धारित करने का कोई अधिकार नहीं है। वर्तमान में, मोटर कैब के लिए अधिकतम परमिट अवधि 9 वर्ष, और अन्य वाहनों के लिए 8 वर्ष तय है। हालांकि, ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट रूल्स, 2023 के अंतर्गत टैक्सी/मैक्सी कैब/बस के लिए यह अवधि 12 वर्ष निर्धारित की गई है।

राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि वह इस अवधि को 15 वर्ष तक बढ़ाने पर विचार करे, जिससे सैकड़ों टैक्सी चालकों और ऑपरेटरों को राहत मिल सके। पत्र की एक प्रति हिमाचल प्रदेश परिवहन निदेशालय को भी सूचना हेतु प्रेषित की गई है।

इस कदम को हिमाचल प्रदेश में टैक्सी ऑपरेटरों के लिए राहत भरी पहल के रूप में देखा जा रहा है, और यदि केंद्र सरकार इस पर सहमति देती है, तो इससे राज्य में टैक्सी व्यवसाय से जुड़े हजारों लोगों को सीधा लाभ पहुंचेगा।