जल जीवन मिशन के क्रियान्वयन में लगातार उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हिमाचल प्रदेश के नाम एक और उपलब्धि दर्ज हुई है. हिमाचल प्रदेश अब पेयजल गुणवत्ता में भी देश भर में प्रथम नंबर पर आया है. जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने आज यहां बताया कि रविवार को गांधी जयंती एवं स्वच्छ भारत दिवस के उपलक्ष्य पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत नई दिल्ली के विज्ञान भवन में हिमाचल प्रदेश को यह पुरस्कार प्रदान करेंगे.
महेंद्र सिंह ठाकुर ने बताया कि जल जीवन मिशन में हिमाचल प्रदेश ने लगातार उत्कृष्ट कार्य किया है. इस वर्ष भी नल कार्यशीलता के वृहद सर्वेक्षण के दौरान हिमाचल प्रदेश को पुनः पेयजल सेवा वितरण गुणवत्ता में देश भर में प्रथम आंका गया है.उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष भी इसी प्रकार के वृहद सर्वेक्षण में जल गुणवत्ता और नल कार्यशीलता में प्रदेश ने पहला स्थान हासिल किया था.
जल शक्ति मंत्री ने बताया कि जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन में हिमाचल प्रदेश को केंद्र सरकार से लगातार भरपूर वित्तीय सहयोग मिल रहा है.इसी कड़ी में केंद्र सरकार ने इस वर्ष प्रदेश को 1344.94 करोड़ रुपये का वित्तीय प्रावधान किया है.इसके अन्तर्गत केंद्र सरकार ने 30 सितंबर को 336.23 करोड़ रुपये की दूसरी किश्त जारी कर दी है. इसे मिलाकर केंद्र और राज्य सरकार अभी तक जल जीवन मिशन के लिए कुल 3820.61 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध करवा चुकी है.
महेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर के कुशल नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश के उत्कृष्ट कार्यों को देखते हुए केंद्र सरकार ने राज्य को तीन वर्षों के दौरान 1028.43 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि भी जारी की है.उन्होंने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का धन्यवाद किया.उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने हिमाचल प्रदेश जैसे छोटे से पहाड़ी प्रदेश पर सदा अपनी उदार दृष्टि रखी है तथा जल जीवन मिशन में उत्कृष्ट कार्य के लिए कई बार प्रदेश सरकार की प्रशंसा की है.
जल शक्ति मंत्री ने बताया कि मिशन के तहत हिमाचल के चार जिलों के 21 खंडों की 2551 पंचायतों के 15,300 गांवों के सभी घरों में नल लगाए जा चुके हैं.अभी तक प्रदेश में लगभग 96 प्रतिशत घरों को कार्यशील नल प्रदान किए जा चुके हैं.महेंद्र सिंह ठाकुर ने बताया कि मिशन के तहत नल कनेक्शन लगाने के साथ-साथ प्रदेश के दुर्गम क्षेत्रों में बड़ी पेयजल योजनाएं बनाई जा रही हैं तथा पुरानी योजनाओं का जीर्णोद्धार किया जा रहा है.इसके अतिरिक्त पेयजल गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश की सभी 63 प्रयोगशालाओं को एनएबीएल से मान्यता दिलाई जा रही है।
उन्होंने बताया कि जल गुणवत्ता की जांच में पारदर्शिता लाने के लिए सभी प्रयोगशालाओं को न्यूनतम दरों पर जन मानस के लिए खोल दिया गया है.इसके साथ प्रत्येक गांव को फील्ड टैस्ट किट प्रदान किए गए हैं और इन किटों के माध्यम से हर गांव की पांच महिलाओं को पेयजल की जांच का प्रशिक्षण दिया जा रहा है.अभी तक 45191 ग्रामीण महिलाओं को पेयजल जांच का प्रशिक्षण दिया जा चुका है.