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हिमाचल में पेयजल योजनाओं का काम ठेकेदारों से वापस लेने पर विचार: अग्निहोत्री

ठेकेदारों से पेयजल योजनाएं वापस लेने पर विचार
आपदा से जल शक्ति विभाग को 4,150 करोड़ का नुकसान
करूणामूलक आश्रितों व जलरक्षक नीति कैबिनेट में जाएगी


हिमाचल प्रदेश के उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने गुरुवार देर शाम जल शक्ति विभाग की समीक्षा बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि सरकार गंभीरता से इस पर विचार कर रही है कि ठेकेदारों से चल रही पेयजल योजनाओं का काम वापस लेकर विभाग स्वयं इसे संभाले।

उप मुख्यमंत्री ने खुलासा किया कि यदि विभाग स्वयं उतने ही कर्मचारी तैनात करे जितने ठेकेदारों ने लगाए हैं, तो खर्च लगभग 26 करोड़ रुपये आएगा। लेकिन फिलहाल सरकार को इन योजनाओं पर ठेकेदारों को 98 करोड़ रुपये चुकाने पड़ रहे हैं। इस मामले को आगामी कैबिनेट बैठक में रखा जाएगा।

उन्होंने बताया कि इस वर्ष की भीषण बरसात और आपदा से विभाग को करीब 4,150 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। इसके मुकाबले अब तक राज्य को केंद्र से केवल 800 करोड़ रुपये की सहायता प्राप्त हुई है। विभाग पर 424 करोड़ रुपये का मेंटेनेंस बकाया है और जल जीवन मिशन के 127 करोड़ रुपये केंद्र से लंबित हैं, जबकि इस मद में 350 करोड़ रुपये पहले ही खर्च किए जा चुके हैं।

उप मुख्यमंत्री ने बताया कि पिछले तीन वर्षों में प्रदेश की जल योजनाएं कुल 46,917 बार क्षतिग्रस्त हुईं। वर्ष 2023 में 20,056 बार, 2024-25 में 7,000 बार और 2025-26 में अब तक 19,438 बार योजनाएं ठप पड़ीं। मंडी और धर्मपुर की कई प्रमुख पेयजल योजनाएं अब भी ठप हैं और इनके लिए विशेष वित्तीय पैकेज की जरूरत है।

उन्होंने यह भी बताया कि विभाग में 55 करूणामूलक आश्रितों की नियुक्ति फाइलें तैयार हैं जिन्हें कैबिनेट भेजा जाएगा। अब तक 76 नियुक्तियां की जा चुकी हैं। जलरक्षक नीति के तहत 1,346 कर्मचारियों को पैरा पंप ऑपरेटर बनाया गया है। सरकार इस अवधि को 12 साल से घटाकर 8 साल करना चाहती है।

विभाग में लगभग 4,000 मल्टीपर्पज वर्कर बिना नीति के कार्यरत हैं। इनके लिए अलग नीति का प्रस्ताव भी कैबिनेट में रखा जाएगा। साथ ही पैरा ऑपरेटर, पंप ऑपरेटर और मल्टीपर्पज वर्करों के वेतन वृद्धि का मुद्दा भी कैबिनेट में आएगा। सरकार जल्द ही 111 वर्क इंस्पेक्टर और 40 से 100 जेई की नई भर्तियां भी करने जा रही है।

अग्निहोत्री ने याद दिलाया कि वर्ष 2023 की आपदा में विभाग को 1,476 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था, जिसके एवज में अब तक मात्र 137 करोड़ रुपये की किश्त प्राप्त हुई है। उन्होंने कहा कि यदि प्रधानमंत्री द्वारा घोषित 1,500 करोड़ रुपये की सहायता बिना शर्त मिलती, तो प्रभावित योजनाओं को तुरंत बहाल किया जा सकता था।

विभाग ने नए डिवीजन और सब-डिवीजन के लिए नए वाहन और मल्टी यूटिलिटी व्हीकल्स की मांग भी रखी है जिसे मंजूरी मिलेगी।

उप मुख्यमंत्री ने एचआरटीसी पेंशनरों को भी भरोसा दिलाया कि उनकी पेंशन जल्द जारी होगी। इसके लिए सरकार से अतिरिक्त ग्रांट मांगी गई है और मुख्यमंत्री के लौटने के बाद इस पर फैसला लिया जाएगा।