देश भर में लॉकडाउन खत्म होने के बाद अब हिमाचल प्रदेश में पर्यटन उद्योग को शुरू करने की मांग उठ रही है। लेकिन पर्यटन को शुरू करने में अभी समय लगेगा। इसके बावजूद जानकारों का मानना है कि हिमाचल में फिल्म इंडस्ट्री को शुरू करने का यह उपयुक्त समय है। क्योंकि आज जहां मुंबई में फिल्म इंडस्ट्री पूरी तरह ठप पड़ी है, जो मुंबई से बाहर निकलने के लिए छटपटा रही है। प्रदेश में अभी हालात ऐसे हैं उसमें आने वाले समय में टूरिस्ट के आने की संभावना कम है, इससे होटल इंडस्ट्री प्रभावित होगी।
अगर इस समय हिमाचल सरकार फिल्म इंडस्ट्री को कुछ थोड़े से प्रावधान कर प्रदेश में शूटिंग को आसानी से करने की सहायता करें। कोरोना के नियम को जरूर लागू करें। तो यह पर्यटकों के न आने की कमी को पूरा कर सकती है। जानकारों का मानना है कि प्रदेश में अभी तक हिमाचल फिल्म पॉलिसी लागू नहीं हुई है। जबकि एक साल से सरकारी तौर पर इसे पास किया गया है। परमिशन लेने का कोई सीधा प्रावधान नहीं है, बल्कि यह बहुत जटिल है। एक फिल्म यूनिट जब आता है तो करोड़ों का व्यवसाय देकर जाता है।
बस जरूरत है इस समय उस का सहयोग करने की। ऐसा लगता है कि आने वाले समय में हर राज्य में एक जिला में फिल्म इंडस्ट्री बन सकती है। जैसे झारखंड में रांची, मध्यप्रदेश में भोपाल, उत्तरप्रदेश में लखनऊ। इसी तरह हिमाचल में भी एक सेंटर बन सकता है। हिमाचल की बेहतरीन लोकेशन के रहते यहां ज्यादा संभावना है कि अब शूटिंग को हिमाचल में लाने के लिए आकर्षित करें। अगर हिमाचल अपनी 3-4 फिल्मों जो बनी है या बनने जा रही हैं को प्रोत्साहन दे तो आने वाले दिनों में 40 फिल्मो को निमंत्रण देंगे। मगर हिमाचल के अधिकारी ही नहीं जानते कि कितनी फीचर फिल्म है जो हिमाचली बनी हैं और किसने बनाई है। और कौन हिमाचली फिल्म डायरेक्टर राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर फिल्मों में काम कर रहा है।
कोरोना के चलते आज होटल खाली पड़े हैं, पर्यटन स्थल खाली है। लोग बेरोजगार हैं, टैक्सी खाली है और स्थानीय कलाकार बेरोजगार हैं। हिमाचल से संबंधित फिल्म डायरेक्टर पवन शर्मा जिन्होंने ब्रिणा, कैंप द मिस्ट्रीए करीम मोहम्मद और वन रक्षक जैसी फिल्मों का निर्देशन किया है… उनका कहना है कि हिमाचल प्रदेश में एक सार्थक फिल्म पॉलिसी की जरूरत है। जो फिल्म बनाने वालों से मिलकर बनाने की जरूरत है, वह भी एक ईमानदार पहल के साथ। उनका कहना है कि ऐसे समय मे मेरी ये बात कुछ लोगों को बुरी लग सकती है। लेकिन आर्थिक रूप से आगे बढ़ऩे के लिए सोचना और करना पड़ेगा।