धर्मशाला: हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय, कंसोर्टियम फॉर एजुकेशनल कम्युनिकेशन के सहयोग से नेशनल कॉन्फ्रेंस “DigiEdu2024” का आयोजन शनिवार को पूर्ण हुआ। कार्यक्रम के समन्वयक प्रो. प्रदीप चौकसे ने जानकारी दी, “तीन दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस में कुल 10 सत्रों का आयोजन हुआ। प्रत्येक सत्र में विभिन्न विशेषज्ञों द्वारा अध्यक्षता की गई। सम्मलेन में भारत के विभिन्न हिस्सों से 149 शोध पत्र प्राप्त हुए। जिसमें से प्रस्तुति के लिए 79 शोध पत्रों का चुनाव किया गया।
मुख्य अथिति के तौर पर उपस्थित देहरा की एस.डी.एम. शिल्पी बेक्टा ने अपने उद्बोधन में कहा, “हमारे संविधान में लिखा है–भारत, राज्यों का एक संघ है। यह बात इस संघोष्टि से चरिथार्त हो रही है क्योंकि, भारत के विभिन्न हिस्सों से विद्यार्थियों ने सम्मेलन में हिस्सा लिया है। डिजिटल एजुकेशन पर बात करते हुए उन्होनें कहा कि, कोविड के बाद ऑनलाइन शिक्षा में काफी बढ़ोतरी हुई हैं। भारत सरकार ने इसे आगे बढ़ने के लिए विभिन्न ऑनलाइन शिक्षा पोर्टल की शुरुवात की है। जैसे दीक्षा, विद्यादान, ई पाठशाला, ई ज्ञानकोष आदि। उन्होंने आगे कहा कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विज़न विकसित भारत 2047 की तरह विधार्थी का आने वाले भविष्य के लिए खुद भी एक विज़न होना चाहिए।
विशिष्ट अथिति के तौर पर उपस्थित शिक्षाविद, ज्योतिर्विद और समाज सेवक प्रो. राजेश सक्सेना ने अपने उद्बोधन में कहा कि, भारत में शिक्षा के इतिहास की तुलना आज की शिक्षा प्रणाली से की जाए तो, भारत आज एक शिक्षित देश बन गया है। स्वतंत्रा के बार देश में सभी वर्गों को बराबरी से शिक्षा मिली रही। डिजिटल युग में शिक्षा और ज्यादा लोकतांत्रिक हो गई है।आज घर बैठा बच्चा ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से ज्ञान अर्जित कर सकता है। संस्कृति विकास के लिए शिक्षा बहुत जरूरी है। उन्होंने आगे कहा की शिक्षा का उद्देश्य नौकरी करना नहीं है। इसका उद्देश्य आत्म विकास है। इसके बाद, समापन कार्यक्रम में उपस्थित विभिन्न सत्रों के अध्यक्षों को सम्मानित किया गया।
बता दें, सम्मेलन का मुख्य विषय “DigiEdu2024-ट्रांसफॉर्मिंग एजुकेशन एंड लर्निंग सिस्टम्स” है। इसका आयोजन 7 मार्च से 9 मार्च 2024 के बीच किया गया। कंप्यूटर साइंस एवं इंफॉर्मेटिक्स और एजुकेशन विभाग द्वारा आयोजित इस राष्ट्रीय सम्मेलन में डिजिटल एजुकेशन पर फोकस रहा। सम्मेलन का उद्देश्य शिक्षा में डिजिटलीकरण के बहुमुखी पहलुओं पर विचार करने के लिए शिक्षकों, शोधकर्ताओं, नीति निर्माताओं और उद्योग विशेषज्ञों को एक साथ लाना था। इस संगोष्ठी में समन्वयक के तौर पर प्रो. प्रदीप चौकसे, प्रो. राजिंदर सिंह और डॉ शत्रुधा मौजूद रहे।
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