<p>फसल विविधिकरण प्रोत्साहन परियोजना के प्रथम चरण के पूरा होने के उपरांत प्रदेश के सभी जिलों में दूसरे चरण को लागू करने की सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली जाएंगी। यह जानकारी जापान अंतरराष्ट्रीय काॅपोरेशन एजेंसी (जीआईसीए, टोकियो) के उप-निदेशक ताकुमी कुनिताके ने दी। यह दल राज्य के दौरे पर आया है उनके साथ सोता कोइदे, सह निदेशक दक्षिण एशिया (जीआईसीए) और मारिया वातानाबेए प्रतिनिधि (जीआईसीए) भारत कार्यालय भी आए हैं। इस दल द्वारा मुख्य सचिव डॉ. श्रीकांत बाल्दी से इस परियोजना के द्धितीय चरण को शुरु करने के बारे चर्चा की गई।</p>
<p>कृषि विभाग द्वारा 1104 करोड़ रूपये की जायका फेज दो की परियोजना जून, 2019 को भारत सरकार के माध्यम से जापान सरकार को भेजी गई थी। इस परियोजना की विस्तृत जानकारी लेने हेतु इस मिशन टीम द्वारा यह दौरा किया गया। जायका फेज दो को प्रदेश के सभी जिलों में शुरू किया जायेगा। मुख्य सचिव ने बताया कि इस परियोजना के अच्छे परिणाम सामने आये हैं जिससे किसानों की पैदावार बढ़ी है और सब्जी उत्पादन से उनकी आय में भी बढ़ोतरी हुई है और किसानों की भागीदारी सुनिश्चित की गई है और वे सिंचाई स्कीमों का संचालन स्वयं कर रहे है। प्रदेश में सिंचाई सुविधायें जुटाने और अधिक क्षेत्रफल सब्जी उत्पादन के अंतर्गत लाना बहुत जरूरी है। इस परियोजना का संचालन विभाग द्वारा अच्छे ढंग से किया जा रहा है और सभी कार्य अनुमानित लागत के अंदर ही पूरे किये गये हैं। उन्होंने जायका से अनुरोध किया कि प्रथम चरण परियोजना के पूर्ण होने से पहले जायका चरण दो की मंजूरी दी जाये ताकि जो भी प्रशिक्षित कर्मचारी इस में काम कर रहे हैं उनके अनुभव का फेज दो में सदुपयोग किया जा सके।</p>
<p>मिशन टीम ने बताया कि इस मिशन की रिपोर्ट के बाद जापान सरकार द्वारा परियोजना के दूसरे चरण बारे निर्णय लिया जायेगा तथा उसके बाद एक मिशन और आएगा जो परियोजना का दूसरे चरण की डी.पी.आर. का विस्तृत अध्ययन करेगा और उसके उपरांत ऋण का सहमति पत्र भारत सरकार व जापान सरकार के बीच हस्ताक्षरित किया जायेगा। मिशन टीम ने प्रधान सचिव ओंकार चंद शर्मा के साथ गत दिन विस्तृत चर्चा की। इस टीम ने परियोजना के प्रथम चरण के अंतर्गत पांच जिलों में से बिलासपुर, हमीरपुर, कांगड़ा और मंडी के विभिन्न भागों का दौरा किया। इस दौरान परियोजना के प्रभावों का निरीक्षण करने पर यह बात सामने आई है कि जायका ने परियोजना क्षेत्र में फसलों की पैदावार और किसानों की आय बढ़ाने में सकारात्मक प्रभाव डाला है। प्रथम चरण के सफल क्रियान्वयन से सभी पांचों जिलों में सुखद परिणाम आये हैं। इसी सफलता को देखते हुए इस परियोजना के द्वितीय चरण को प्रदेश के सभी जिलों में शुरु करने का निर्णय लिया गया है।</p>
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