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युवा पीढ़ी को शहीदों के आदर्शों से लें प्रेरणा: आचार्य ललित कुमार अवस्थी

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  • सरदार पटेल विश्वविद्यालय में शहीदी दिवस पर अमर शहीदों को श्रद्धांजलि

  • युवाओं से शहीदों के आदर्शों को अपनाने का आह्वान

  • स्वतंत्रता संग्राम के नायकों को याद कर किया गया प्रेरणादायक संबोधन


Martyrs’ Day Tribute: सरदार पटेल विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग द्वारा शहीदी दिवस के अवसर पर अमर शहीदों को नमन कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य ललित कुमार अवस्थी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति आचार्य अनुपमा सिंह ने की। वशिष्ट अतिथि के रूप में मंडी निवासी 102 वर्षीय वयोवृद्ध स्वतंत्रता सेनानी ओम चंद रहे। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन और स्वतंत्रता संग्राम के वीर बलिदानियों को श्रद्धासुमन अर्पित करने से हुई।
विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य ललित कुमार अवस्थी ने कहा कि शहीदी दिवस के पावन अवसर पर अमर शहीदों को नमन कार्यक्रम में उन वीर शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए एकत्रित हुए हैं, जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा और स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य ललित कुमार अवस्थी यह दिवस हमें उन अमर बलिदानियों की याद दिलाता है, जिनकी वीरता, साहस और देशभक्ति के कारण हम आज एक स्वतंत्र राष्ट्र में सांस ले रहे हैं।भारत का इतिहास ऐसे असंख्य वीरों से भरा हुआ है, जिन्होंने अन्याय और दमन के विरुद्ध संघर्ष किया और अपना सर्वस्व अर्पण कर दिया। भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, चंद्रशेखर आज़ाद, रानी लक्ष्मीबाई, नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसे अनगिनत क्रांतिकारियों ने अपने जीवन की आहुति देकर हमें स्वतंत्रता दिलाई। उनकी कुर्बानी को याद रखना और उनके दिखाए मार्ग पर चलना हमारा कर्तव्य है।
प्रो. ललित कुमार अवस्थी ने जिक्र किया कि आज से 94 साल पहले इसी दिन भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी दी गई थी। देश के लिए इन तीनों वीर सपूतों ने हंसते हुए अपनी जान कुर्बान कर दी थी। 23 मार्च… ये वो तारीख है जो दुख, गर्व और गुस्सा, तीनों तरह की भावना पैदा करता है। दुख, क्योंकि इसी दिन देश ने अपने तीन वीर सपूतों को खो दिया था। गर्व, क्योंकि उन वीरों ने हंसते-हंसते भारत के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया था। गुस्सा, क्योंकि ये दिन याद दिलाता है कि ब्रिटिश हुकूमत ने हम पर कितने अत्याचार किए हैं
वे न केवल क्रांतिकारी थे बल्कि युवाओं के आदर्श और स्वतंत्रता संग्राम के नायक थे। उनका संघर्ष और विचारधारा आज भी प्रेरणा का स्रोत है और हमेशा बनी रहेगी।
प्रो. अवस्थी ने यह भी कहा के छात्र व यहाँ उपस्तिथ सभी लोग इन शहीदों से यह शिक्षा लें की देश के लिए अपना सर्वस्व त्यागने के लिए हर वक्त तैयार रहें और अपनी पढ़ाई , अपने काम के प्रति समर्पित रहें लिए पूरा समय देना होगा और भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए अपनी पूरी क्षमता से योगदान दें।
अंत में कुलपति महोदय ने कहा कि हम सभी मिलकर इन महान वीरों के सपनों को साकार करने का संकल्प लें और अपने देश को ज्ञान, विज्ञान, समरसता और विकास की नई ऊंचाइयों तक पहुँचाने में अपना योगदान दें।
वशिष्ट अतिथि वयोवृद्ध स्वतंत्रता सेनानी ओम चंद ने कहा कि भारत माता के सपूत वीर क्रान्तिकारी शहीद-ऐ-आज़म भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु के बलिदान दिवस पर देश उन्हें कोटि-कोटि नमन् करता है। उन्होंने कहा कि वे न केवल क्रांतिकारी थे बल्कि युवाओं के आदर्श और स्वतंत्रता संग्राम के नायक थे। उनका संघर्ष और विचारधारा आज भी प्रेरणा का स्रोत है और हमेशा बनी रहेगी। आचार्य राजेश कुमार शर्मा ने स्वागत भाषण देते हुए शहीदी दिवस के महत्व पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम संयोजक डॉ. राकेश कुमार शर्मा ने कहा कि कार्यक्रम का उद्देश्य देश के वीर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करना और युवाओं में राष्ट्रभक्ति की भावना को जागृत करना था। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन नई पीढ़ी को अपने गौरवशाली अतीत से जोड़ने का कार्य करते हैं। समारोह के अंत में इतिहास विभाग के सहायक आचार्य एवं कार्यक्रम आयोजन सचिव विकेश कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन दिया और कहा कि देश की युवा पीढ़ी को शहीदों के संघर्ष और बलिदान से प्रेरणा लेकर राष्ट्रहित में योगदान देना चाहिए। मंच संचालन शोधार्थी सुरेखा ने किया। कार्यक्रम में जतिन कुमार ने भगत सिंह, कोमल ने सुखदेव व दीपक दीपांशु ने राजगुरु के जीवन पर प्रकाश डाला। इस उपलक्ष्य पर डॉ कर्ण गुप्ता, डॉ सनील ठाकुर, डॉ लखवीर सिंह , डॉ रामपाल, रवि वैद्य, शमशेर मिन्हंस, डॉ कमल प्यासा, रूपेश्वरी शर्मा,अनिल शर्मा,विनोद बहल,डॉ.गंगा राम राजी,कृष्ण महादेविया,मुरारी शर्मा,जगदीश कपूर,डॉ. धर्मपाल कपूर, डॉ राकेश कपूर, डॉ अवरोल, रत्न चंद,हर्ष शोधार्थी राहुल,सुरेखा,वेद प्रकाश, इतिहास सोसायटी अध्यक्षा करीमा, शुभम वालिया,समस्त सोसायटी सदस्य कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कई प्राध्यापक, शोधार्थी और विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कई प्राध्यापक, शोधार्थी और विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।