हिमाचल

मंडी की चार सीटों पर बड़े नेताओं के पुत्र पुत्रियों का भविष्य दांव पर

मंडी जिले में ऐसे कई नेताओं के पुत्र पुत्रियों का भविष्य इस चुनाव में दांव पर लगा है जो सालों से राजनीति में जमे रहे हैं, कई बार विधायक व मंत्री रहे हैं व मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में भी जिनका नाम शुमार रहा है.

 

इसमें सबसे पहला नाम मंडी सदर का है जहां से देश प्रदेश की राजनीति में धूम मचाने वाले संचार क्रांति के मसीहा के नाम से चर्चित रहे स्वर्गीय पंडित सुख राम के बेटे अनिल शर्मा मैदान में हैं. अनिल शर्मा के साथ इस बार पंडित सुख राम जैसा राजनीति का चाणक्य भी नहीं है. पंडित सुख राम 1962 से लेकर 2007 तक हिमाचल व प्रदेश की राजनीति में रहते हुए कई बार विधायक, प्रदेश व केंद्र में मंत्री रहे हैं.

 

केंद्र में संचार मंत्री रहते हुए वह देश भर में चर्चित चेहरा बने थे. वह 1993 में मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे. अनिल शर्मा के सामने कौल सिंह ठाकुर की पुत्र चंपा ठाकुर है जो दूसरी बार विधानसभा का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़ रही है। 2017 में अनिल शर्मा से 10 हजार वोटों के अंतर से हार गई थी.

 

इस बार पूरे दमखम के साथ मैदान में हैं. उनके पिता कौल द्रंग से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं. कौल सिंह 1977 से राजनीति में हैं और 9 चुनाव विधानसभा के लड़ चुके हैं. इनमें सात में उनकी जीत हुई है. एक लोक सभा का चुनाव भी उन्होंने लड़ा था. जिसमें वह भाजपा के महेश्वर सिंह से हार गए थे. कौल सिंह कई बार प्रदेश सरकार में मंत्री व विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे हैं. वह मुख्यमंत्री पद के लिए भी कांग्रेस में दावेदार रहे हैं.

 

धर्मपुर से इस बार महेंद्र सिंह अपने बेटे रजत ठाकुर के लिए चुनाव मैदान से हट गए हैं. रजत को जीत दिलाना महेंद्र सिंह के एक बड़ी चुनौती है. महेंद्र सिंह के नाम प्रदेश की राजनीति में एक नया रिकार्ड कायम है. वह 1990 से लेकर 2017 तक लगातार जीतते आए हैं.

 

इसमें पहले पांच चुनाव उन्होंने आजाद, कांग्रेस, हिविकां, हिम लोकतांत्रिक मोर्चा व भाजपा के चुनाव चिह्नों पर लड़ कर जीता है जो गिन्नीज बुक आफ रिकार्ड में भी दर्ज है. सुंदरनगर विधानसभा क्षेत्र में ठाकुर रूप सिंह भाजपा से बागी होकर अपने बेटे अभिषेक को इस बार चुनाव लड़ा रहे हैं. अभिषेक ने भाजपा के समीकरण बिगाड़ कर रख दिए हैं.

 

ठाकुर रूप सिंह भाजपा में एक बड़ा चेहरा रहा है. वह 6 बार विधायक रह चुके हैं व भाजपा शासन में कई बार मंत्री रहे हैं. अपने बेटे को राजनीति में स्थापित करने के लिए वह अब 74-75 के होकर भी ठंड में पसीना बहा रहे हैं. इसी तरह से करसोग में कांग्रेस के उम्मीदवार महेश राज पूर्व मंत्री मनसा राम के बेटे हैं.

 

मनसा राम प्रदेश सुख राम के साथ साथ ही राजनीति में आए थे और 2017 के चुनाव तक सक्रिय रहे हैं. इस बार उन्होंने स्वास्थ्य कारणों के कारण अपने बेटे महेश राज को टिकट दिलवाने में कामयाबी पाई और अब उसे जीत दिलाना एक चुनौती बन गया है. मनसा राम कई बार कांग्रेस, हिविकां व भाजपा सरकारों में मंत्री रह चुके हैं.

 

मनसा राम की पत्नी यानि महेश की मां कलावति जिला परिषद के चेयरमैन रह चुकी है. भाई भी बीडीसी का चेयरमैन रह चुका है. ऐसे में अब महेश राज को उनकी विरासत को आगे बढ़ाने की बड़ी जिम्मेवारी हैं. मुकाबला कड़ा है.

 

ऐसे में मंडी जिले में कांग्रेस के तीन नेता पुत्र पुत्रियां, भाजपा का एक व बागी भाजपा नेता का एक पुत्र चुनावी जंग लड़ रहा है. सबकी निगाहें इन नेता पुत्र पुत्रियों पर है क्योंकि सबका अपने अपने समय में बड़ा नाम रहा है. देखना है कि जनता परिवारवाद को आगे बढ़ाती है या फिर कोई नया इतिहास रचती है.

Kritika

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